मुंबई: कोरोना महामारी से जैसे तैसे थोड़ी राहत मिली तो अब लोग लगातार बढ़ती जा रही महंगाई से त्रस्त हो रही है।
इन दिनों नींबू के भाव में अधिक तेजी देखने को मिल रही है। वैसे, नींबू के अलावा भी आम आदमी की एक पौष्टिक थाली में ऐसी कई चीजें हैं, जिनके दो सालों में दाम बढ़े हैं।
रूस और यूक्रेन से मिलकर दुनिया में 29 प्रतिशत गेहूं, 19 प्रतिशत मक्का और 80 प्रतिशत सनफ्लॉवर ऑयल निर्यात करते हैं। युद्ध के कारण सप्लाई प्रभावित हुई है।
पौष्टिक थाली को महंगा करने का एक प्रमुख घटक है रसोई गैस जिसके दाम पिछले दो सालों में करीब 35 फीसदी बढ़े हैं। सरकार का कहना है कि वैश्विक बाजार में कीमतें बढ़ने का असर भारत में भी हुआ है।
भारत में एलपीजी गैस के दाम इंटरनेशनल पेट्रोलियम दाम के हिसाब से तय होते हैं। सउदी आरामको ने मार्च 2022 में प्रति मेट्रिक टन एलपीजी के दाम 769.1 डॉलर तय किए थे।
ये दाम नवंबर 2020 के (376.3 डॉलर) मुकाबले 104 प्रतिशत अधिक हैं। पौष्टिक थाली की कीमत बढ़ाने के लिए घरेलू गैस जितने ही जिम्मेदार पेट्रोल या डीजल भी है क्योंकि जहां से उत्पादन होता है वहां से आपके घर तक माल पहुंचने के दौरान कई बार ट्रांसपोर्ट होता है।
बताया जा रहा है कि युद्ध छिड़ने के बाद यूक्रेन से सप्लाई रुक गई है
नवंबर 2020 से तुलना करें तो मार्च 2022 में खानपान की महंगाई में 7.68 फीसद खाने के तेल और वसा युक्त खाद्य पदार्थों में 18.79 फीसद और सब्जियों के दामों में 11.64 फीसद तक महंगाई बढ़ी है।
मार्च 2021 से मार्च 2022 में एक ही साल में कंज्यूमर फूड प्राइस में जोरदार वृद्धि हुई है। ये आंकड़े नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस द्वारा 12 अप्रैल, 2022 को रिलीज किया गया है।
उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक यानी कंज्यूमर फूड प्राइस इंडेक्स पर आधारित इन्फ्लेशन मार्च 2021 के 4.87 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2022 में 7.68 प्रतिशत हो गया।
पिछले एक साल में खाने के तेल की कीमतों में 18.79 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यूक्रेन-रशिया युद्ध के दौरान सनफ्लॉवर ऑयल की कीमतों में वृद्धि हुई है।
भारत 1,27,000 टन सनफ्लॉवर ऑयल यूक्रेन से, 73,500 टन रूस से और 1,900 टन अर्जेनटिना से आयात करता है। बताया जा रहा है कि युद्ध छिड़ने के बाद यूक्रेन से सप्लाई रुक गई है, जिसका असर सनफ्लॉवर ऑयल की कीमतों में आने वाला है।