रांची: पारा शिक्षकों के आक्रोश से पहली बार हेमंत सरकार का सामना होने वाला है। अपनी मांगों को लेकर राज्य भर के पारा शिक्षक गोलबंद हो गए हैं।
17 जनवरी को 50 हजार से ज्यादा पारा टीचर सत्ताधारी दल झामुमो, कांग्रेस और राजद के विधायकों को उनके आवास पर ही घेरकर विधानसभा चुनाव के दौरान किए गए वादे याद दिलाएंगे। और उसे पूरा करने की जोरदार मांग करेंगे।
क्या है आंदोलन की रणनीति
पारा शिक्षकों ने अपनी मांगों को लेकर तीन चरणों में आंदोलन करने की योजना बनाई है। पहले चरण में 17 जनवरी को सत्ताधारी विधायक के आवास का घेराव किया जाएगा।
उसके बाद 24 जनवरी को सरकार के मंत्रियों के आवास के सामने पारा शिक्षक धरना देंगे। फिर 10 फरवरी को मुख्यमंत्री आवास के समक्ष जोरदार प्रदर्शन की तैयारी है।
क्या है मामला
एकीकृत पारा टीचर संघ के नेता ऋषिकेश पाठक का कहना है कि 2019 के विधानसभा चुनाव में उस समय महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार और वर्तमान मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने पारा शिक्षकों को नियमित करने और समान काम के बदले समान वेतन देने का वादा किया था।
इसके बाद राज्य के पारा शिक्षकों, उनके परिजनों और जानने वालों ने बढ़-चढ़ कर हेमन्त सोरेन के गठबंधन को समर्थन दिया। लेकिन अब जबकि सरकार बन गई है, तो सीएम ने अपना वादा भुला दिया है, जिसे याद दिलाना जरूरी है।
क्या कहती है सत्ताधारी जेएमएम
जेएमएम प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कोरोना काल का हवाला देते हुए पारा शिक्षकों से अनुरोध किया है कि वे आंदोलन पर उतरने से पहले सरकार से वार्ता करें।
क्योंकि उनको अब तक जो कुछ मिला है, वो जेएमएम सरकार से ही मिला है।
क्या कहती है मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी
भाजपा सांसद व पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि 2019 के विधानसभा चुनाव में झूठे और असंभव वादा कर महागठबंधन की सरकार सत्ता में आई थी।
अब जब पारा टीचर विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेंगे तब सरकार का सच से सामना होगा।
भाजपा ने पारा टीचर्स की मांगों को जल्द पूरा करने की सरकार से मांग की है।