गाजीपुर बॉर्डर (नई दिल्ली/उप्र): कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। हालांकि इस आंदोलन के दौरान कुछ किसानों की मृत्यु भी हुई।
जिनकी याद में रविवार को दिल्ली बॉर्डर पर श्रधांजलि सभा रखी गई है। गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी पहुंचे।
हरीश रावत ने इस दौरन आईएएनएस से कहा कि, मैं किसान हूं, किसान का बेटा हूं। किसान जिंदाबाद कहने आया हूं।
भगवान और किसान से कोई नहीं जीता है। यदि कोई इन दोनों से जीत जाएगा उस दिन अनर्थ हो जाएगा।
किसान और भगवान एक ही है। जो किसान को परेशान करेगा वो भगवान को परेशान करेगा। मैं सरकार से यही कहना चाहता हूं कि किसानों की मांगों को माना जाए।
हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री ज्यादा देर बॉर्डर पर नहीं रुके और उत्तराखंड के लिए रवाना हो गए।
दरअसल रविवार को बॉर्डर पर मृतक किसानों के लिए श्रंद्धाजलि सभा आयोजित की गई थी।
हालांकि प्रदर्शनकारी किसानों ने इन सभी मृत्यु के लिए केंद्र को जिम्मेदार ठहराया है। किसानों ने अपने साथियों को शहीद का दर्जा दिया और कहा कि बहुत दु:ख है कि हमारे भाई हमारे बीच नहीं रहे, ये सभी शहीद हैं।
दरअसल किसान कानूनों में संशोधन के लिए तैयार नहीं हैं।
बल्कि उनकी मांग है कि विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लिया जाए। केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच 6 दौर की बातचीत के बाद भी अब तक कोई हल नहीं निकल सका है।