Ranchi Giridih Mayor Sunil Kumar Paswan: झारखंड हाई कोर्ट में शुक्रवार को गिरिडीह के बर्खास्त मेयर सुनील कुमार पासवान (Mayor Sunil Kumar Paswan) की ओर से उनके जाति प्रमाण पत्र (Caste Certificate) को गलत बताते हुए रद्द करने के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई हुई।
मामले में मेंटिबिलिटी (याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं) पर सुनवाई जारी रही। राज्य सरकार की ओर से समय की मांग की गई। इसके बाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति रंगन मुखोपाध्याय (Rangan Mukhopadhyay) की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अगली सुनवाई 4 दिसम्बर निर्धारित की है। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता विनोद सिंह ने पैरवी की।
मेयर पद के अयोग्य घोषित किया जाना गलत निर्णय
प्रार्थी की ओर से हाई कोर्ट को बताया गया था कि इनके पिता वर्ष 1982-83 में सरकारी सेवा पर रहते हुए सचिव, व्यापार मंडल गिरिडीह के पद पर थे।
प्रार्थी की शिक्षा- दीक्षा एवं लालन पालन (Education and Upbringing) गिरिडीह में ही हुआ है। इस दौरान गिरिडीह के सक्षम प्राधिकार द्वारा इनका जाति प्रमाण पत्र भी निर्गत किया गया था।
इन्होंने मुखिया का चुनाव सहित कुछ अन्य जनप्रतिनिधि का इलेक्शन लड़ा था लेकिन उनके जाति प्रमाण पत्र पर सवाल नहीं उठाया गया था। मेयर का चुनाव लड़ने के बाद जाति प्रमाण पत्र पर सवाल उठाया गया।
एकीकृत बिहार के समय से वह गिरिडीह में ही थे। इसलिए अनुसूचित जाति के फर्जी प्रमाण पत्र पर उनके द्वारा मेयर का चुनाव लड़ने का आरोप गलत है। उन्हें मेयर पद के अयोग्य घोषित किया जाना गलत निर्णय था।
DC ने जाति प्रमाण पत्र को गलत बताते हुए रद्द कर दिया
एकल पीठ ने इस संबंध में प्रार्थी सुनील कुमार पासवान की रिट याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट में SLP दाखिल की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी SLP खारिज कर दी थी। इसके बाद उनकी ओर से खंडपीठ में अपील दायर की गई है।
उल्लेखनीय है कि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित गिरिडीह नगर निगम के मेयर पद पर सुनील कुमार पासवान (Sunil Kumar Paswan) का चयन वर्ष 2018 में हुआ था। उनके खिलाफ झामुमो कार्यकर्ता ने उनके जाति प्रमाण पत्र को संदिग्ध बताते हुए जांच की मांग की थी।
इसके बाद गिरिडीह DC ने जाति प्रमाण पत्र (Caste Certificate) को गलत बताते हुए रद्द कर दिया था। DC ने दो दिसम्बर, 2019 को पत्र के माध्यम से सरकार को बताया कि प्रमाण पत्र में अंकित मूल निवास स्थान प्रमाणित नहीं होने के कारण यह कार्रवाई की गई है।
बाद में झारखंड नगर पालिका निर्वाचित प्रतिनिधि नियमावली 2020 के प्रावधानों के तहत पासवान को पद से बर्खास्त कर दिया गया था।