गिरिडीह: जैन समाज के महामुनि श्री विशुद्ध सागर जी ने मंगलवार को हजारों किलों मीटर की पद यात्रा कर झारखंड के गिरिडीह पहुंचे।
इस दौरान प्राचीन जैन मंदिर में समाज के श्रद्धालुओं के बीच प्रवचन दिया। पत्रकारों से बातचीत के क्रम में मुनि श्री ने कहा कि मर्यादा पुरुषोतम श्री भगवान राम की अयोध्या और तीर्थंकरों के निर्वाण भूमि सम्मेदशिखर मधुबन को शाश्वत भूमि है।
इन पवित्र भूमियों में तीर्थंकरों ने मोक्ष हासिल किया है। संपूर्ण मानव समाज को यही दोनों भूमियों ने मोक्ष का मार्ग भी दिखाया।
तीर्थंकरों के पवित्र धरा से हर दौर में संपूर्ण मानव समाज का कलात्कमक सृजन किया गया। गिरिडीह के सम्मेद शिखर मधुबन से जुड़े एक सवाल पर मुनिश्री ने कहा कि प्रलयकाल चल रहा है। और घोर कलियुग का प्रभाव स्पष्ट है।
ऐसे में तीर्थंकरों के इस पवित्र भूमि को कुछ लोग रक्तरंजित करने के प्रयास में है, तो इसका यह मतलब नहीं कि पूरी भूमि का दोष हो गया।
ऐसे में वो जैन मुनि के होने के नाते सिर्फ यही कहेगें कि शाश्वत भूमि की पहचान पहले जैसी थी। अब भी वैसी ही है। और आगे भी रहेगी।
सम्मेदशिखर से जुड़े एक अन्य सवाल के जवाब में मुनिश्री ने कहा कि सम्मेदशिखर को मोक्ष की भूमि है इसमे सदेंह नही।
एक सवाल के जवाब में मुनिश्री विशुद्ध सागर जी महाराज ने कहा कि भगवान महावीर अंहिसा के प्रर्वतक के प्रतिक के रूप में विश्व में वंदनिय है और वर्तमान में उनका शासन ही चल रहा है।
वैसे भी भगवान महावीर के संदेश मानव समाज के लिए कल्याणकारी है और इसलिए भगवान महावीर जैन समाज के साथ पूरे विश्व में चर्चित है।
इस बीच मंगलवार को स्थानीय जैन मंदिर में दो दिनों के प्रवास के पहले दिन सुबह में पूजा-अर्चना किया गया।