रांची: भोजपुरी, मगही और अंगिका भाषा को क्षेत्रीय भाषा सूची में नहीं डाले जाने को लेकर कई राजनीतिक दलों में नाराजगी है।
पलामू के हुसैनाबाद विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवार रहे के. विश्वा ने कहा कि झारखंड सरकार की विभाजनकारी नीतियों का ही परिणाम है कि इन भाषाओं को बोलने वाले को दोयम दर्जे का नागरिक बनाया जा रहा है।
उन्हें नफरत का सामना करना पड़ रहा है। उनके साथ भेदभाव बढ़ रहा है। इससे नफरत की खाई और बढ़ेगी और राज्य में संघर्ष पैदा होगा। उन्होंने कहा कि यह झारखंड सरकार का साजिश है।
के विश्वा शुक्रवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज बेरोजगारी भत्ता देने , जेपीएससी बहाली में धांधली रोकने, सहायक पुलिसकर्मियों और आंगनबाड़ी सेविकाओं की मागों को पूरा करना ज्यादा जरूरी है।
सरकार इन मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ही राज्य के युवाओं को आपस में लड़ा रही है। जनता को जागरूक कर हमें इस षड़यंत्र को हमें नाकाम करना है।
उन्होंने कहा कि झारखंड का निर्माण भाषा के आधार पर नहीं हुआ। पलामू प्रमंडल की क्षेत्रीय भाषा हिंदी और भोजपुरी है लेकिन हेमंत सरकार एक साजिश के तहत इन भाषाओं को क्षेत्रीय भाषा नहीं मान रही है।
सरकार हमारी भाषा, संस्कृति को बाहरी मान रही है। हम यह कतई बर्दाश्त नहीं कर सकते।