रांची: राज्य सरकार लाह की खेती को कृषि का दर्जा देगी और और इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य भी तय करेगी।
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने गुरूवार को भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद संस्थान, नामकुम में आयोजित दो दिवसीय किसान मेला-सह- कृषि प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह में यह घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाना सरकार का संकल्प है।
इस बाबत कई योजनाएं चलाई जा रही है, जिसके जरिए किसानों को अनुदान, ऋण और अन्य जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
सरकार ने हाल ही में मुख्यमंत्री पशुधन योजना शुरू करने के साथ किसानों के ऋण को भी माफ कर रही है।
किसानों को उनका उचित हक और अधिकार मिले, इसके लिए सरकार सभी संभव कदम उठाएगी।
बनाए जा रहे हैं नए गोदाम और प्रोसेसिंग यूनिट
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में कृषि और कृषि उत्पादों के संरक्षण और बढ़ावा देने के लिए नए गोदाम और फूड प्रोसेसिंग यूनिट बनाने पर सरकार विशेष जोर दे रही है।
पूरे राज्य में लगभग 500 नए गोदाम और 224 फूड प्रोसेसिंग यूनिट बनाए जा रहे हैं।
किसानों की समस्याओं को लेकर चिंतित है सरकार
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान देश की रीढ़ है। ऐसे में किसानों की समस्याओं को लेकर राज्य सरकार चिंतित है।
किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए सरकार कार्य योजना बना रही है।
उन्होंने कहा कि आज हम विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं लेकिन किसान धीरे-धीरे हाशिए पर जा रहे हैं। यह काफी चिंता की बात है ।
किसानों के हित में सरकार सभी जरूरी कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस वर्ष लक्ष्य की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा धान की खरीदारी की है।
खनिज संपदा के साथ वन उपज के लिए जाना जाता है झारखंड
झारखंड में जहां खनिज संपदा प्रचुर मात्रा में है, वहीं वन उपज के लिए भी यह राज्य अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए हैं।
लेकिन, इसका सही उपयोग, संरक्षण, उत्पादन और बाजार उपलब्ध नहीं होने के साथ किसानों को सही मूल्य नहीं मिलना इसके विकास में बाधा पैदा कर रही है।
सरकार की कोशिश है कि इन समस्याओं को दूर करने के साथ वन उपज से ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोड़ा जा सके ।
झारखंडवासियों के खून में है लाह की खेती
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक वक्त था, जब झारखंड की देश और दुनिया में लाह की खेती के लिए अलग पहचान थी, पर धीरे-धीरे इसमें गिरावट आने लगी।
लेकिन मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि झारखंडवासियों के खून में लाह की खेती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लाह समेत अन्य वन उपज का वैल्यू एडिशन कर उसे पुरानी पहचान दिलाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि लाह की खेती के क्षेत्र में हम सिर्फ 15 प्रतिशत क्षमता का इस्तेमाल कर लगभग 20 हज़ार टन लाह उत्पादन कर रहे हैं।
अगर पूरी क्षमता का इस्तेमाल हो तो फिर रिकॉर्ड उत्पादन के साथ देश दुनिया में झारखंड जाना जाएगा। इसमें भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद संस्थान एक अहम रोल निभाता आ रहा है और आगे भी निभाएगा।
प्राकृतिक उत्पादों की मांग पूरे विश्व में है
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक उत्पादों की मांग आज पूरे विश्व में तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में लाह एवं अन्य वन उपज के क्षेत्र में भी काफी संभावनाएं हैं।
सरकार का ध्यान इस ओर है।
इसके लिए संबंधित किसानों को तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है ताकि यहां लाह एवं वन उपज में व्यापक बढ़ोतरी होने के साथ उसकी गुणवत्ता भी उच्च कोटि की हो।
पौधारोपण किया, लाह उत्पादन की जानकारी ली
मुख्यमंत्री ने संस्थान परिसर में कुसुम का पौधा लगाया।
इस दौरान उन्होंने लाह उत्पादन के लिए लगाए गए पौधों को देखा और कृषि वैज्ञानिकों से लाह उत्पादन से संबंधित जानकारी प्राप्त की।
कृषि वैज्ञानिकों ने मुख्यमंत्री को बताया कि झारखंड में लाह उत्पादन की व्यापक संभावनाएं हैं। किसानों खासकर महिला स्वयं सहायता समूह को इससे जोड़कर उन्हें स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।
विभिन्न स्टॉल का किया भ्रमण
मुख्यमंत्री का कृषि और किसानों से कितना गहरा और आत्मीय लगाव है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने किसान मेला- सह- कृषि प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी मे लगाए गए विभिन्न स्टॉलों का भ्रमण किया और उनके द्वारा चलाई जा रही गतिविधियों और क्रियाकलापों की बारीकी से जानकारी ली।
इस प्रदर्शनी में 60 से ज्यादा स्टॉल लगाए गए हैं। ये स्टॉल विभिन्न सरकारी गैर सरकारी और निजी संस्थानों द्वारा लगाए गए हैं।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
-मौके पर लाख की खेती को बढ़ावा देने के लिए भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद संस्थान और आईसीआईसीआई फाउंडेशन के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ।
-मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में दो प्रकाशनों का लोकार्पण किया।
-लाह की खेती में बेहतर प्रदर्शन करने वाले किसानों, वैज्ञानिकों और उद्यमियों को सम्मानित किया गया।
मौके पर कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री बादल, विधायक श्री राजेश कच्छप, उपायुक्त, वरीय पुलिस अधीक्षक, संस्थान के निदेशक केके शर्मा, कार्यक्रम के संयोजक निर्मल कुमार और अन्य पदाधिकारी तथा बड़ी संख्या में किसान मौजूद थे।