नई दिल्ली: मशहूर मेडिकल जर्नल द लैंसेट के संपादकीय में भारत में कोरोना वायरस की वजह से पैदा हुए मौजूदा संकट के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया गया है।
जर्नल के मुताबिक, सरकार ने न सिर्फ ‘सुपरस्प्रेडर’ धार्मिक और राजनीतिक आयोजनों को होने दिया बल्कि देश में वैक्सीशनेश कैंपेन भी धीमा हो गया।
पत्रिका के संपादकीय में लिखा है, ‘सुपरस्प्रेडर आयोजनों के जोखिम को लेकर चेतावनियां मिलने के बावजूद सरकार ने धार्मिक आयोजनों को होने दिया, जिसमेंमशहूर मेडिकल जर्नल द लैंसेट के संपादकीय में भारत में कोरोना वायरस की वजह से पैदा हुए मौजूदा संकट के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया गया है।
जर्नल के मुताबिक, सरकार ने न सिर्फ ‘सुपरस्प्रेडर’ धार्मिक और राजनीतिक आयोजनों को होने दिया बल्कि देश में वैक्सीशनेश कैंपेन भी धीमा हो गया।
सुपरस्प्रेडर आयोजनों के जोखिम को लेकर चेतावनियां मिलने के बावजूद सरकार ने धार्मिक आयोजनों को होने दिया, जिसमें देश के लाखों लोगों ने हिस्सा लिया।
इसके साथ ही बड़ी-बड़ी चुनावी रैलियां की गईं, जिसमें कोविड-19 रोकथाम संबंधी नियमों को ताक पर रखा गया।
इतना ही नहीं यह संदेश तक दिया गया कि देश में कोरोना हार रहा है, जिससे भारत में टीकाकरण की शुरुआत धीमी रही। देश के लाखों लोगों ने हिस्सा लिया।
इसके साथ ही बड़ी-बड़ी चुनावी रैलियां की गईं, जिसमें कोविड-19 रोकथाम संबंधी नियमों को ताक पर रखा गया।
इतना ही नहीं यह संदेश तक दिया गया कि देश में कोरोना हार रहा है, जिससे भारत में टीकाकरण की शुरुआत धीमी रही। महामारी विज्ञान विभाग के पूर्व प्रमुख डॉक्टल ललित कांत लैंसेट में छपे इस संपादकीय से सहमति जताते हैं।
उन्होंने कहा, ‘हम आज जिस स्थिति में हैं उसकी जिम्मेदारी सरकार को लेनी चाहिए।’
मंत्रालय के अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन किसी का जवाब नहीं मिला।
बता दें कि यह संपादकीय ऐसे समय में आया है जब भारत में लगातार पांचवे दिन कोरोना वायरस के 4 लाख से ज्यादा नए मामले दर्ज किए गए हैं।