भारत सरकार के गृह मंत्रालय से नही मिली है अनुमति, नेपाल सरकार ने बॉर्डर्स खोलने का दिया आदेश

Central Desk

सुपौल: नेपाल के गृह मंत्रालय से भारतीय सीमा से सटे बॉर्डर्स खोलने की अनुमति मिलने के बाद सीमा से सटे बॉर्डर्स को खोल दिया गया है। लेकिन भारत सरकार से अब तक अनुमति नहीं मिली है।

नेपाल सीमा से सटे वीरपुर के एसडीपीओ रामानंद कौशल ने बताया कि अनुमति मिलने के बाद आवाजाही पूरी तरह चालू हो जाएगी।

मालूम हो कि शुक्रवार को नेपाल के गृह मंत्री के आदेश के बाद नेपाल सरकार ने भारत व चीन की सीमा से सटे 30 बॉर्डर्स को कुछ शर्त पर खोलने का आदेश दिए जाने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली है।

शनिवार को 10 महीने के बाद बिहार से सटे नेपाल बॉर्डर्स खुलने के बाद भारत सरकार से आदेश नहीं मिलने के कारण पहले की तरह आवाजाही शुरू नहीं हो सका है।

हालांकि नेपाल की ओर से आने वालों को बिना शर्त आने को आदेश दिए जाने के कारण शनिवार को नेपाल से सटे भीमनगर बॉर्डर्स पर नेपाली नागरिकों की आवाजाही दिखी।

वहीं भारत से जाने वाले नागरिकों को कुछ शर्तों का पालन करने के आदेश दिए जाने और भारत सरकार से अब तक आदेश नहीं मिलने के कारण भारतीय नागरिकों की आवाजाही नहीं दिखी।

भीमनगर बॉर्डर्स से सटे भीमनगर के मुखिया सुधीर सिंह ने कहा कि कोरोना के कारण बॉर्डर्स बंद रहने की वजह से सबसे अधिक कारोबार पर असर पड़ा है। खासकर छोटे व्यापारियों का धंधा पूरी तरह चौपट हो गया।

अब नेपाल सरकार से अनुमति मिलने के बाद यह परेशानी से निजात मिलेगी। बॉर्डर्स बंद रहने से सिर्फ भारतीय व्यपारियो को ही हानि नहीं हुई बल्कि नेपाली व्यपारियो को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

खासकर नेपाल सरकार को स्वास्थ्य सेवा में काफी हानि हुई होगी। इसका मुख्य कारण नेपाल के धारण व विराटनगर के आंख अस्पताल सबसे अधिक भारतीय मूल के लोग जाते हैं।

नगर पंचायत वीरपुर के वार्ड पार्षद गोपालाचार्य ने बताया कि कोरोना की मार सबसे अधिक बॉर्डर्स से सटे इलाके के लोगों को उठाना पड़ा। हालांकि बॉर्डर्स बंद रहने के कारण शराब पीने वालों और इससे जुड़े तस्करों में कमी आयी।

कोरोना के बाद से बंद है दवा

कोरोना के बाद से नेपाल बॉर्डर्स बंद हो जाने के कारण दवा भी बंद करना पड़ा है। सुपौल के सुधीर मिश्रा ने बताया कि नेपाल बॉर्डर्स बंद रहने के कारण 10 महीने से दवा नहीं खा रहे हैं।

अब शर्त के साथ ही यह समस्या तो दूर हो जाएगी। वही ह्र्दयनगर के सुभाष चंद्रा ने कहा कि शुभ कार्य में भी पत्नी को मायके नहीं भेज पाए। बॉर्डर्स खुलने से मेरी पत्नी काफी खुश है अब 21 फरवरी को अपनी बहन की शादी में जा सकती है।