रांची: राज्य के सरकारी प्राथमिक स्कूलों (Government Primary Schools) में अब अनिवार्य रूप से जनजातीय भाषाओं की पढ़ाई करायी जाएगी।
जनजातीय भाषाओं (Tribal Languages) की पढ़ाई क्लास एक से तीन तक के बच्चों को करायी जाएगी। यह फंडामेंटल लिटरेसी और न्यूमेरेसी प्रोग्राम के तहत चालू किया जाएगा। तीसरी क्लास के बच्चे को हो, मुंडारी, खड़िया, कुडूख और संथाली भाषा पढ़ाई जाएगी।
10-10 किताबों का सेट दिया जाएगा
राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में पहली से तीसरी तक के छात्र-छात्राओं के लिए फंडामेंटल लिटरेसी और न्यूमेरेसी कार्यक्रम (Fundamental Literacy and Numeracy Program) चल रहा है।
यह ऐसा प्रोग्राम है, जिसमें गणित और भाषा की पढ़ाई पर विशेष जोर दिया जा रहा है। गणित की पढ़ाई तो आरंभिक स्तर से चल रही है। वहीं, अगले साल से पांच जनजातीय भाषाओं को इसमें जोड़ा गया है।
स्कूलों में जनजातीय भाषाओं की पढ़ाई हो सके इसके लिए झारखंड राज्य शिक्षा परियोजना (Jharkhand State Education Project) को जिम्मेदारी दी गयी है।
यही इन भाषाओं की किताबें भी तैयार करा रहा है। 20 से अधिक कहानियां इन भाषाओं की किताब में होगी। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के मुताबिक जिन स्कूलों में इसकी शुरुआत की जाएगी, वहां 10-10 किताबों का सेट दिया जाएगा।
जो लैंग्वेज पॉपुलर है उसी लैंग्वेज में पढ़ाई करायी जाए
ये किताबें बाइलिंग्वल होंगी, जहां पिक्चर और टैक्स्ट (Picture And Text) दोनों के माध्यम से बच्चों को संबंधित भाषा लिखना, पढ़ना सिखाया जाएगा। जरूरत पड़ने पर शिक्षकों को ट्रेनिंग भी दी जाएगी।
नयी शिक्षा नीति में भी Local language पर जोर दिया जा रहा है। वहीं, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग लंबे समय से प्राइमरी स्तर पर लोकल लैंग्वेज को सिलेबस में जोड़ने के लिए प्रयासरत है।
इसके पीछे का मकसद रहा है कि जिस क्षेत्र में जो लैंग्वेज पॉपुलर है, वहां उसी लैंग्वेज में पढ़ाई करायी जाए। इससे बच्चों में लर्निंग कैपेसिटी (Learning Capacity) बढ़ेगी।