नई दिल्ली: केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती की ओर से मनी लांड्रिंग एक्ट को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने के लिए याचिका दायर करेगी।
केंद्र की इस दलील के बाद चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले की सुनवाई 30 सितम्बर तक के लिए टाल दी।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में मनी लांड्रिंग एक्ट को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं लंबित हैं।
तब कोर्ट ने पूछा कि क्या आप इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करने के लिए याचिका दायर करना चाहते हैं।
तब मेहता ने कहा कि हां। तब महबूबा मुफ्ती की ओऱ से पेश वकील नित्या रामकृष्णन ने कहा कि इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में ही होनी चाहिए।
हाईकोर्ट ने 9 सितम्बर को इस मामले की अंतिम सुनवाई के लिए आज की तिथि नियत की थी।
इसके पहले हाईकोर्ट महबूबा मुफ्ती की मनी लांड्रिंग के आरोप में ईडी की ओर से जारी समन पर रोक लगाने से इनकार कर चुका है।
याचिका में कहा गया है कि ईडी ने जो उसे नोटिस जारी किया है, उसमें उन्हें आरोपित या गवाह के रूप में पेश होने का निर्देश दिया गया है। हालांकि उस नोटिस में ये नहीं बताया गया है कि महबूबा को किस मामले में पूछताछ के लिए बुलाया गया है।
याचिका में कहा गया है कि महबूबा मुफ्ती किसी मामले में आरोपित नहीं हैं और न ही कोई अपराध किया है।
याचिका में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद जब से उन्हें हिरासत में लिया गया तब से उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को परेशान किया जा रहा है।
याचिका में महबूबा ने मनी लांड्रिंग एक्ट की धारा 50 को चुनौती दी है।
मनी लांड्रिंग एक्ट की धारा 50 के तहत ईडी किसी को समन जारी करता है। ईडी के समन का हर व्यक्ति जवाब देने के लिए बाध्य है। अगर वो जवाब नहीं देता है तो उसे दंडित किया जा सकता है।