Governor CP Radhakrishnan: झारखंड के राज्यपाल के रूप में रविवार को CP राधाकृष्णन (CP Radhakrishnan) ने एक वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया है।
पिछले साल 18 फरवरी को उन्होंने राज्य के 11वें राज्यपाल के रूप में पदभार संभालते हुए पद और गोपनीयता की शपथ ली थी। एक साल के कार्यकाल के दौरान CP Radhakrishnan ने कई सुधारात्मक प्रयास किए। इनके पहले रमेश बैस प्रदेश के राज्यपाल थे, जिन्हें सत्ता पक्ष ने हमेशा निशाने पर लिया था। इसी तरह सीपी राधाकृष्णन भी सत्ता पक्ष के निशाने पर रहे।
झारखंड की सत्तारूढ़ पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने उन्हें कई मौकों पर BJP के लिए काम करने का आरोप लगाया है।
हाल ही में ED द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को भी सत्तापक्ष के नेताओं ने राज्यपाल CP राधाकृष्णन को ही जिम्मेदार ठहराया और वर्तमान चम्पाई सोरेन की सरकार के गठन में भी जान-बूझकर देरी करने का आरोप लगाया। हालांकि, सत्ता पक्ष के इन सभी आरोपों पर राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने तथ्यों के साथ अपने किसी भी तरह की भूमिका से इनकार किया।
अपने कार्यकाल के दौरान राज्यपाल ने झारखंड विधानसभा से पारित कुछ विधेयकों को कानूनी सलाह लेने के बाद राज्य सरकार (तत्कालीन हेमंत सरकार) को लौटाने का काम किया।
इन विधेयकों में 1932 आधारित खतियान और स्थानीय नियोजन नीति और आरक्षण की सीमा बढ़ाने से संबंधित कई महत्वपूर्ण विधेयक शामिल हैं। इसके अलावा राज्यपाल ने निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना से संबंधित विधेयक भी राज्य सरकार को लौटाए है। कोर्ट फीस संशोधन विधेयक सहित कई विधेयकों को राज्यपाल ने स्वीकृति भी दी हैं।
राज्यपाल ने राज्य के विश्वविद्यालयों में भ्रष्टाचार पर भी सख्ती बरती है। बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति Dr Shukdev Bhoi को भी राज्यपाल ने उनके पद से बेदखल किया है।
भ्रष्टाचार के आरोप में राज्यपाल ने उन्हें कार्यकाल पूरा होने से पहले पद से हटा दिया है। इसके अलावा वित्तीय अनियमितता मामले में राज्यपाल ने कई अन्य कुलपतियों से भी कारण पूछा है।