छत्तीसगढ़ के हर्बल उत्पाद का बढ़ता बाजार

News Aroma Media

रायपुर: छत्तीसगढ़ देश के उन राज्यों में से है जो वनोपज और वनसंपदा के मामले में सबसे संपन्न है। यहां के हर्बल उत्पादों को देश और दुनिया में नई पहचान मिली ही है।

साथ ही, उनकी मांग भी बढ़ने लगी है। बीते तीन सालों में यहां के हर्बल उत्पादों की बिक्री में चार गुना हो गई है।

सरकारी तौर पर उपलब्ध कराए गए आंकड़े बताते है कि राज्य के हर्बल उत्पादों का कारेाबार तेजी से बढ़ रहा है।

राज्य में वर्ष 2019-20 में एक करोड़ 25 लाख रुपए, वर्ष 2020-21 में दो करोड़ 15 लाख, और वर्ष 2021-22 के पहले नौ माह में चार करोड़ 34 लाख रुपए के मूल्य के उत्पादों की बिक्री राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में हो चुकी है। वर्ष 2022 में यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है।

बताया गया है कि इन हर्बल उत्पादों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे ऑनलाईन प्लेटफार्म, श्री धन्वंतरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर्स, ग्रामीण ई-स्टोर के सीएससी नेटवर्क ने देश के अलग-अलग राज्यों में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में छत्तीसगढ़ हर्बल के लिए बाजार बनाने में मदद की है।

इन उत्पादो के प्रति राज्य के लोग भी आकर्षित हो इसके लिए छत्तीसगढ़ के सभी शासकीय विभागों को हर्बल्स ब्रांड के उत्पादों की खरीदी करने पर 10 प्रतिशत की छूट देने का फैसला हुआ है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर राज्य शासन के सभी विभागों, शासकीय उपक्रमों और नगर निगमों को इस छूट का लाभ मिलेगा।

इस निर्णय से राज्य में छत्तीसगढ़ हर्बल के उत्पादों की बिक्री में और अधिक वृद्धि की संभावना जताई जा रही है।

बताया गया है कि राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के माध्यम से 150 से भी अधिक उत्पादों की बिक्री हो रही हैं। जिसके लिए प्रदेश के सभी जिलों में 30 संजीवनी केंद्र की शुरूआत की गई है, जहां हर्बल ब्रांड के उत्पादों की बिक्री की जा रही है।

छत्तीसगढ़ हर्बल ब्रांड ने आदिवासी महिलाओं को रोजगार मुहैया कराने का भी काम किया है। इस ब्रांड के तहत वनों से आदिवासी महिलाओं द्वारा संग्रहित और उनसे तैयार किए गए उत्पादों का विक्रय किया जाता है, जिसका उद्देश्य आदिवासियों एवं अन्य वनवासियों का सामाजिक और आर्थिक उत्थान है। हर्बल ब्रांड में विभिन्न उत्पादों का विक्रय किया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ हर्बल की सफलता के पीछे सबसे बड़ा हाथ ग्रामीण अंचल की उन महिलाओं का है, जिन्होंने वनोपज संग्रहित किया, उनसे उत्पाद निर्मित करने में सहायता की और उनकी पैकेजिंग में मुख्य भूमिका निभाई।

इस तरह न केवल शुद्ध उत्पाद उपभोक्ता तक पहुंच रहे हैं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं आर्थिक रूप से सक्षम और सु²ढ़ हो रही हैं।