नई दिल्ली: गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) ने CM अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने सिंगल जज जस्टिस बीरेन वैष्णव (Justice Biren Vaishnav) ने चीफ इनफॉर्मेशन कमिश्नर (CIC) के 2016 में दिए गए आदेश को रद्द कर दिया।
इस आदेश में पीएमओ के जन सूचना अधिकारी (PIO) और गुजरात यूनिवर्सिटी (Gujarat University) और दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) के PIO को मोदी की ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्री की डिटेल पेश करने के निर्देश दिए गए थे।
कोर्ट ने इस मामले में आप नेता और दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल पर पच्चीस हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया, जिन्होंने PM के डिग्री सर्टिफिकेट्स (Degree Certificates) की डिटेल मांगी थी।
हाईकोर्ट ने 2 महीने पहले केस की सुनवाई पूरी कर ली
यह पैसा गुजरात राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (Gujarat State Legal Services Authority) के पास जमा किया जाएगा। हाईकोर्ट ने 2 महीने पहले केस की सुनवाई पूरी कर ली थी और फैसला सुरक्षित रख लिया था।
PM नरेंद्र मोदी के मुताबिक उन्होंने 1978 में गुजरात यूनिवर्सिटी से Graduation और 1983 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से PG की पढ़ाई पूरी की।
क्या है मामला
CM केजरीवाल ने अप्रैल 2016 में केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) को एक लेटर लिखकर PM मोदी की शैक्षिक योग्यता से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक (Public) करने की मांग की थी। उन्होंने लेटर में लिखा कि इस मुद्दे पर किसी भी तरह के भ्रम को दूर करने के लिए डिग्री को सार्वजनिक किया जाना चाहिए।
इसके बाद CIC ने गुजरात यूनिवर्सिटी से PM मोदी की MA डिग्री के बारे में केजरीवाल (Kejrival) को जानकारी मुहैया कराने को कहा गया था। CIC के इस आदेश को यूनिवर्सिटी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
कोर्ट में यूनिवर्सिटी की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए
कोर्ट में यूनिवर्सिटी की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) पेश हुए थे। उन्होंने कोर्ट में कहा था कि केवल इसलिए कि कोई सार्वजनिक पद पर है, उसकी निजी जानकारी (Personal Information) नहीं मांगी जानी चाहिए।
लोकतंत्र में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि पद पर आसीन व्यक्ति डॉक्टर है या अनपढ़।
मांगी गई जानकारी का PM के काम से कोई लेना-देना नहीं: PM
PM मोदी की Degree पहले से पब्लिक डोमेन में है, लेकिन डिग्री के लिए किसी तीसरे व्यक्ति को खुलासा करने के लिए RTI के तहत जानकारी देने की कोई बाध्यता नहीं है। यूनिवर्सिटी (University) को डिग्रियों का खुलासा करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है, खासकर तब जब यह कोई जनहित का मामला न हो।
उन्होंने कहा कि किसी भी अनुचित मांग (Unreasonable Demand) को पूरा करने के लिए कोई सूचना नहीं दी जा सकती है। मेहता ने कहा कि मांगी गई जानकारी का PM के काम से कोई लेना-देना नहीं है।