वाशिंगटन: रात को Light जलाकर सोने (Sleeping With Light On) से शरीर को कई तरह से नुकसान होते हैं। अध्ययन में पाया गया है कि रात में लाइट जलाकर सोने से इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin Resistance) बढ़ जाता है।
यानी पैंक्रियाज (pancreas) में इंसुलिन बनता तो है लेकिन वह असरदार नहीं हो पाता है। इसलिए Type 2 डायबिटीज की बीमारी होती है। वहीं रात में लाइट जलाकर सोने से Heart संबंधी परेशानियां भी बढ़ सकती हैं। अध्ययन में कहा गया कि अधिकांश लोग रात में TV laptop mobile or other gadget के बिना नहीं सोते।
शरीर में क्रोनिक डिजीज का खतरा बढ़ जाएगा
लेकिन रात में सोते समय हल्की कृत्रिम रोशनी भी कार्डियोवैस्कुलर और मेटाबोलिक हेल्थ (Cardiovascular and Metabolic Health) पर विपरीत असर डालती है।
एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक अध्ययन के प्रमुख लेखक और अमेरिका के नोर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर सर्काडियन एंड स्लीप मेडिसीन के प्रोफेसर डॉ फिलिस जी ने कहा “अध्ययन के परिणाम से मैं खुद चकित रह गया।
अध्ययन के आधार मैं कहना चाहूंगा कि कृत्रिम रोशनी (Artificial light) की कम मात्रा भी आंखों से ब्रेन में पहुंचकर बुरा परिणाम लाती है।” जी ने बताया कि रात में कृत्रिम लाइट कई तरीके से हमारे मेटाबोलिज्म को प्रभावित करता है। यह रोशनी सबसे पहले हमारी नींद को प्रभावित करती है।
अध्ययन में पाया गया कि Light On कर सोने वाले लोगों में नींद वाले हार्मोन मेलाटोनिन भी गड़बड़ा जाता है। मेलाटोनिन के लेवल में कमी से डायबिटीज और कैंसर का जोखिम भी बढ़ जाता है।
अध्ययन के मुताबिक इन सबका परिणाम यह होगा कि इससे शरीर में क्रोनिक डिजीज का खतरा बढ़ जाएगा। लाइट के प्रभाव से सर्काडियन रिद्म (Circadian Rhythm) पहले से बिगड़ जाता है।
कार्डियोवैस्कुलर फंक्शन पर असर पड़ेगा
शरीर का Master Clock भी गड़बड़ा जाता है। इससे ब्लड प्रेशर और हार्ट डिजीज (Blood Pressure And Heart Disease) का जोखिम भी बढ़ जाता है। वहीं अध्ययन में यह भी पाया गया कि रात में टीवी ऑन कर या लाइट जलाकर सोने वाली महिलाओं में वजन भी बहुत बढ़ गया।
यह अध्ययन 40 हजार महिलाओं पर किया गया।अध्ययन में यह भी पाया गया कि कृत्रिम रोशनी सिंपेथेटिक आर्म और ऑटोइम्यून नर्वस सिस्टम (Roshni Sympathetic Arm and the Autoimmune Nervous System) को सक्रिय कर देती है।
ये दोनों चीजें शरीर में बाहरी आक्रमण से लड़ने के जिम्मेदार कारक हैं। यह शरीर को कूल बनाता है ताकि रात में सुकून से नींद आए। लेकिन जब ये चीजें सक्रिय हो जाएंगी तो नींद प्रभावित होगी। इससे कार्डियोवैस्कुलर फंक्शन (Cardiovascular Function) पर असर पड़ेगा।