मुंबई: हैकरों ने दावा किया है कि उन्होंने मोबिक्विक के 9.9 करोड़ भारतीय यूजर्स का डेटा उड़ा लिया है। इनमें इन लोगों के मोबाइल फोन नंबर, बैंक खाते का ब्योरा, ई-मेल और क्रेडिट कार्ड नंबर शामिल हैं।
जानकारी के मुताबिक हालांकि, भुगतान कंपनी ने इसका जोरदार खंडन किया है।
एक साइबर सुरक्षा विश्लेषक ने इस डेटा लीक का खुलासा किया है।
उन्होंने इस बारे में भारतीय रिजर्व बैंक, इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पॉन्स टीम, पीसीआई मानक और भुगतान टेक्नोलॉजी कंपनियों को भी लिखित में सूचित किया है।
एक हैकर समूह ने डाटाबेस का लिंक भी ई-मेल किया है। इस समूह ने कहा है कि उसका इरादा इस डेटा का इस्तेमाल करने का नहीं है। समूह ने कहा कि उसका इरादा सिर्फ कंपनी से पैसा लेने का है।
उसके बाद वह अपनी ओर से इस डेटा को डिलीट कर देगा।
जॉर्डनेवन ने मोबिक्विक के संस्थापक बिपिन प्रीत सिंह और मोबिक्विक की मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) उपासान ताकू का ब्योरा भी डेटाबेस से साझा किया है। संपर्क करने पर मोबिक्विक ने इस दावे का खंडन किया है।
कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि विनिमयन वाली इकाई के रूप में वह डेटा सुरक्षा को काफी गंभीरता से लेती है और मान्य डेटा सुरक्षा कानूनों का पूरी तरह अनुपालन करती है।
वहीं हैकर समूह का दावा है कि यह डेटा मोबिक्विक का है।
समूह ने मोबिक्विक क्यूआर कोड की कई तस्वीरों के साथ अपने ग्राहक को जानिये यानी केवाईसी के लिए इस्तेमाल होने वाले दस्तावेज मसलन आधार और पैन कार्ड भी अपलोड किए हैं।
मोबिक्विक ने कहा है कि वह इस बारे में संबंधित अधिकारियों के साथ काम कर रही है।
कंपनी ने कहा कि इन आरोपों की गंभीरता को देखते हुए वह तीसरे पक्ष के जरिए फॉरेंसिक डेटा सुरक्षा ऑडिट कराएगी।
कंपनी ने कहा कि मोबिक्विक के सभी खाते तथा उनमें राशि सुरक्षित है।
राजहरिया ने कहा कि सरकारी अधिकारियों को इस मामले की तत्काल गहराई से जांच करनी चाहिए, क्योंकि इसका प्रभाव काफी व्यापक हो सकता है और इससे वित्तीय धोखाधड़ी की जा सकती है।