गाजापट्टी: इजरायल ने गाजापट्टी में हमास के ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं। नेफ्टाली बेनेट के प्रधानमंत्री का कार्यभार संभालने के बाद पहली बार इजरायल ने हवाई हमले किए हैं।
इजरायली सेना ने बताया कि उसके लड़ाकू विमानों ने खान यूनुस और गाजा शहर में हमास के परिसरों को निशाना बनाया।
आईडीएफ का दावा है कि इन परिसरों में आतंकवादी गतिविधि चल रही थी।
गाजा पट्टी से जारी आतंकवादी गतिविधियों को देखते हुए आईडीएफ युद्ध शुरू करने समेत सभी तरह के हालात से निपटने के लिए तैयार है।
फिलहाल, यह साफ नहीं हो पाया है कि इजरायली हमलों से जान-माल का नुकसान हुआ है या नहीं।
हालांकि, हमास ने बयान जारी कर कहा है कि इजरायल के ताजा हमले में कोई हताहत नहीं हुआ है।
इजरायली सुरक्षा बल (आईडीएफ) का कहना है कि यह कार्रवाई गाजा पट्टी से आग लगाने वाले गुब्बारे, बलून बम भेजने के बाद की गई है।
यहूदी राष्ट्रवादियों के फ्लैग मार्च निकाले जाने से पहले से ही फिलिस्तीनी बलून बम से इजरायल को निशाना बना रहे हैं। ये बलून बम पार्टियों में इस्तेमाल होने वाले हीलियम भरे गुब्बारों या कंडोम से तैयार किए जाते हैं।
पिछले दिनों गाजा पट्टी के पास दक्षिणी इजरायल में कई जगहों पर आग लग गई। इससे निपटने के लिए दमकल गाड़ियों को तैनात करना पड़ा।
गाजा पट्टी से चरमपंथी गुटों के सदस्यों ने गुब्बारों के जरिये आग लगाने की घटना को अंजाम दिया।
इसके बाद इजरायल ने जवाबी कार्रवाई में गाजा पट्टी पर हवाई हमले किए. ऐसा नहीं है कि इजरायल को आग लगाने वाले बलून से पहली बार निशाना बनाया जा रहा है।
हमास इजरायल को परेशान करने के लिए बच्चों के खेलने वाले गुब्बारों का इस्तेमाल करता रहा है।
पिछले तीन सालों यानी 2018 से गाजा पट्टी में हमास और अन्य चरमपंथी गुटों से जुड़े फिलिस्तीनी हवा में हजारों की संख्या में बलून उड़ाकर इजरायल को छका रहे हैं।
इन गुब्बारों में आग लगाने वाले केमिकल्स और विस्फोटक लगे होते हैं। फिलिस्तीनी इसके जरिये इजरायल के खेतों, बाग-बगीचों और निजी संपत्ति को निशाना बना रहे हैं।
इसे आग लगाने वाला गुब्बारा या गुब्बारा बम भी कहते हैं। इन गुब्बारों को हवा से हल्की गैस मसलन गर्म हवा, हाइड्रोजन या हीलियम से फुलाया जाता है। इन गुब्बारों में बम, आग लगाने वाला उपकरण या मोलोटोव कॉकटेल लगे होते हैं।
हवा के रुख को देखते हुए गुब्बारे को छोड़ा जाता है। ये गुब्बारे जहां गिरते हैं, वहां विस्फोट होने से आग लग जाती है।
फ्रांस के जोसेफ-मिशेल मोंटगॉल्फियर ने 1792 में टौलॉन में ब्रिटिश सेना और जहाजों पर बम गिराने के लिए गुब्बारों के इस्तेमाल का पहली बार प्रस्ताव रखा था।
डेनमार्क ने 1807 में एक ऐसा औजार बनाया जिसका इस्तेमाल ब्रिटिश जहाजों पर बमबारी के लिए किया गया।
बीच- बीच में बम चलाने के लिए बलून के इस्तेमाल को लेकर कई प्रयोग हुए और विभिन्न देशों में इसके प्रस्ताव रखे गए। हालांकि, ऐसे प्रस्ताव रिजेक्ट होते रहे। लेकिन 1849 में ऑस्ट्रिया ने पहली बार बलून बम का इस्तेमाल किया।