रांची: माकपा की पोलित ब्यूरो सदस्य और पूर्व सांसद वृंदा करात ने कहा कि झारखंड में विधानसभा से पारित मॉब लिंचिंग कानून को राजभवन की ओर से लटकाए रखना देश के संघीय ढांचे की अवमानना है।
करात रविवार को पार्टी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि देश की मौजूदा केंद्र सरकार देश के फेडरल ढांचे को लगातार कमजोर किए जाने की साजिश कर रही है, जो भारत के संविधान की केवल अवमानना ही नहीं है बल्कि स्वतंत्रता आन्दोलन से प्राप्त हमारे संसदीय लोकतंत्र को समाप्त करने के एजेंडे को लागू करने की कवायद है।
उन्होंने कहा कि आज देश के लिए सबसे बड़ा खतरा कार्पोरेट और सांप्रदायिक गठजोड़ का है। यह गठजोड़ एक ओर हमारी राष्ट्रीय संप्रभुता और राष्ट्रीय संपदा की नीलामी कर रहा है।
देश के किसान, मजदूर, छात्र – युवा और प्रगतिशील विचार वाले लोग सडकों पर उतर कर शासक वर्ग के इस विनाशकारी एजेंडे के खिलाफ प्रतिरोध की मजबूत दीवार खड़ी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि देश के मजदूर वर्ग की ओर से आगामी 28 – 29 मार्च को दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल और संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर दो दिन का अखिल भारतीय गांव बंद इस प्रतिरोध की अगली कड़ी है।
झारखंड मे भाषा और स्थानीय और नियोजन नीति के सबंध में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को तत्काल सर्वदलीय बैठक बुलाकर स्थानीयता की परिभाषा तय कर स्थानीय युवाओं को कैसे नियोजन मिले।
इसका एक सर्वमान्य हल निकालने की ठोस पहल करनी चाहिए। लेकिन इस मुद्दे पर झारखंड के मेहनतकशों के बीच विभाजन की राजनीति को हतोत्साहित किया जाना चाहिए।
मौके पर राज्य सचिव प्रकाश विप्लव के अलावा सचिवमंडल सदस्य और रांची जिला सचिव सुखनाथ लोहरा भी मौजूद थे। वहीं दूसरी ओर कारात पार्टी की राज्य कमिटी बैठक में हिस्सा लेने रांची आयीं हैं।
सीपीएम की राज्य कमिटी बैठक में पार्टी के 23 वें अखिल भारतीय सम्मेलन (पार्टी कांग्रेस) जो 6 से 10 अप्रैल तक केरल मे होगी के लिए जारी राजनीतिक प्रस्ताव के मसौदे पर चर्चा की गई।