रांची: हरतालिका व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष (Darker fortnight) के तृतीय तिथि हस्त नक्षत्र में किया जाता है। मान्यता है की यह व्रत माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए रखा था। इस व्रत में शिव और पार्वती के विवाह की कथा सुनाने का काफी महत्व है।
इसे सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु, सुख, सौभाग्य और आरोग्य की कामना के लिए करती हैं। इस व्रत को कुंवारी कन्याएं बेहतर जीवन साथी की कामना के लिए करती हैं। पंडित मनोज पांडेय (Pandit Manoj Pandey) ने रविवार को बताया कि 17 सितम्बर रविवार को तृतीया तिथि सुबह 9.31 बजे शुरू होगा और 18
सितम्बर सोमवार (monday) को सुबह 11.15 बजे समाप्त होगा। हस्त नक्षत्र और उदया तिथि होने से 18 सितम्बर को पूरे दिन तृतीया मान्य होगा। हरतालिका तीज व्रत प्रदोषकाल में किया जाता है।