हजारीबाग: 24 घंटे में ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने सिंडिकेट के निर्णय को पलटने का कार्य किया है। कुलपति डा.मुकुल नारायण देव ने जांच होने तक डा.सुशील टोप्पो को संत कोलंबा का प्राचार्य बने रहने देने की बात कही है।
मंगलवार को ही विश्वविद्यालय में हुई सिंडिकेट की बैठक में संत कोलंबा काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुशील टोप्पो को निलंबित करने का निर्णय लिया था।
बुधवार को झारखंड छात्र मोर्चा व एनएसयूआई के छात्र नेताओं ने कुलपति कार्यालय में पहुंचकर जमकर विरोध किया व नारेबाजी की। कुलपति ने छात्रों के हंगामे को देख इसकी सूचना कोर्रा पुलिस को दी।
सूचना मिलते ही कोर्रा पुलिस विश्वविद्यालय पहुंची और मामले को शांत कराने की कोशिश की। छात्र नेता डा.सुशील टोप्पो को प्राचार्य पद पर बने रहने का दबाव बनाते रहे।
इसी बीच झामुमो के डा.कमल नयन सिंह, दिलीप वर्मा भी विश्वविद्यालय पहुंचे और सिंडिकेट में लिए फैसले को वापस लेने की मांग की।
कहा गया कि विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार चरम पर है, यदि छात्र नेता अपनी जिम्मेवारी निर्वहन नहीं करेंगें तो विश्वविद्यालय को भी एक दिन बेच दिया जायेगा।
छात्रों का कहना था कि डा.सुशील टोप्पो के आदिवासी होने का फल उन्हें मिला है। कुलसचिव पर बड़कागांव थाने में दर्ज मामले में प्रशासन की चुप्पी पर भी सवाल उठाया गया।
डाॅ.टोप्पो के साथ अन्य चार शिक्षकों डाॅ. अनवर मल्लिक, डाॅ. शंशी शेखर, डाॅ. आर एच प्रसाद पर भी कार्रवाई करने की मांग की गई। हंगामा करीब 6 घंटे तक चला।
कुलपति डाॅ. देव ने कहा कि छात्र हित को देखते हुए एक जांच कमेटी बनाई जायेगी। कमेटी की रिपोर्ट आने पर शो काॅज किया जायेगा, तब तक संत कोलंबा के प्राचार्य पहले की तरह डाॅ. टोप्पो ही बने रहेगें।
हालांकि उन्होनें कहा कि कमेटी का रिपोर्ट आने के बाद सिंडिकेट में इसे रखा गया।
उसके बाद विवि प्रशासन ने अधिसूचना जारी की। सेवानिवृत शिक्षकों पर भी शो काॅज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह सिंडीकेट का मामला है। झाछामो के अध्यक्ष चंदन सिंह, लड्डु यादव, पिंटू सहित दर्जनों छात्र नेता मौजूद थे।