Heart Disease Due to use of Plastic : Medical Science के क्षेत्र में रोज नए-नए रिसर्च हो रहे हैं। विभिन्न शोधों के अनुसार, प्लास्टिक (Plastic ) का अधिक इस्तेमाल हृदय रोगों व मधुमेह का कारण बन सकता है।
साथ ही प्लास्टिक में मौजूद रसायनों का मानसिक सेहत पर भी बुरा असर पड़ सकता है। दरअसल,Plastic उत्पाद छोटे-छोटे कणों में टूट जाते हैं, जिनसे जहरीले रसायन निकलते हैं, जो खाने और पीने की वस्तुओं के जरिये शरीर में पहुंच जाते हैं।
दरअसल, Plastic में बिस्फेनॉल ए (BPA) नाम का रसायन होता है। यह रसायन सख्त, सीधे व रंगीन प्लास्टिक बनाने में उपयोग होता है। विशेषज्ञों के अनुसार यह रसायन शरीर में हार्मोन प्रक्रिया को बाधित कर सकता है।
Proceedings of the National Academy of Sciences में हुए एक अध्ययन के अनुसार, एक लीटर बोतलबंद पानी में प्लास्टिक के औसतन ढाई लाख छोटे कण होते हैं। इतना ही नहीं, जर्नल ऑफ हैजर्ड्स मटेरियल्स के 2022 के एक अध्ययन में, शोधकर्ताओं को दोबारा इस्तेमाल की Plastic की बोतलों में संग्रहित नल के पानी में सैकड़ों हानिकारक रसायन देखने को मिले।
प्लास्टिक की बोतलों में Bisphenol a और Phthalates दो रसायन होते हैं। ये रसायन एंडोक्राइन ग्लैंड को प्रभावित करते हैं। प्लास्टिक में Endocrine Disruptors होते हैं, जो मधुमेह का जोखिम बढ़ा सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, BPA के संपर्क को कम करके Type 2 डायबिटीज का खतरा कम किया जा सकता है।
एक अन्य अध्ययन में शोधक Assistant Professor Ross ने बहुत कम समय के लिए युवा व बूढ़े चूहों में microplasticsके प्रभाव की जांच की। उन्होंने पाया कि प्लास्टिक के कणों के कारण चूहों में संज्ञानात्मक बदलाव आए।
साथ ही ये कण दिमाग के अति संवेदनशील हिस्सों तक पहुंचने में सक्षम रहे।
वैज्ञानिकों के अनुसार पीने के पानी के माध्यम से प्लास्टिक कण मानसिक सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं, इसमें बेचैनी व डिप्रेशन शामिल हैं। यह श्वसन रोग और हृदय रोग से भी जुड़ा हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, बचाव के लिए कांच व Stainless Steel के बर्तनों का इस्तेमाल करें। Plastic की पानी की बोतलों को लंबे वक्त तक यूज न करें।