Fungus Can Wipe out Human Existence : नेचर में किस जीव की वजह से क्या कब परिवर्तन हो जाए, यह गहन स्टडी का विषय है। Microbiologist वैज्ञानिक ने दावा किया है कि फफूंद से होने वाला महाविनाश इंसानों को मिटा सकता है।
आणविक माइक्रोबायोलॉजी, Immunology और संक्रामक रोगों के प्रोफेसर आर्टुरो कैसाडेवाल कहते हैं कि लास्ट ऑफ अस सीरीज के जैसे नजारे कोई कल्पना नहीं थी।
पेड्रो पास्कल और बेला रामसे अभिनीत पोस्ट-एपोकैलिप्टिक टीवी सीरीज़ दिखाती है कि अगर एक बड़े पैमाने पर फफूंद महामारी ने अधिकांश मानवता को मिटा दिया तो क्या हो सकता है। फफूंद वायरस को Cordyceps कहा जाता है।
इनसे प्रभावित लोग जॉम्बी जैसे जीवों में बदल जाते हैं, जिनके काटने, या उनके महीन बीज, इंसानों को संक्रमित करते हैं, जिससे वे राक्षस बन जाते हैं। जानकारी के मुताबिक, बाल्टीमोर, USA में प्रतिष्ठित जॉन्स हॉपकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में काम करने वाले 67 वर्षीय प्रोफेसर कैसाडेवाल का कहना है कि फफूंद मानवता के लिए एक ‘वास्तविक खतरा’ है।
पिछले महीने ही उनकी नई किताब प्रकाशित हुई है। व्हाट इफ फंगी विन? नाम की ये किताब फफूंद के कारण महामारी होने की ‘बहुत वास्तविक संभावना’ पर प्रकाश डालती है।
उन्होंने कहा, “अभी, हम किसी ऐसे फफूंद के बारे में नहीं जानते हैं जो किसी इंसान को Zombie में बदल सकता है। लेकिन मेरे मन में इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं है कि हम समय के साथ खतरनाक नए फंगल रोगजनकों को देख सकते हैं। वास्तव में, हम इसे पहले ही होते हुए देख चुके हैं।”
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण फफूंद के कारण मानव जाति पर ‘नई बीमारियाँ फैलने’ की संभावना है, “इस बात के बढ़ते प्रमाण हैं कि कुछ फफूंदों में नई बीमारियां फैलाने की क्षमता है जो अभूतपूर्व तरीके से कई और इंसानों को नुकसान पहुंचाएंगी इसके लिए फफूंद या कवक जीवों को केवल ज्यादा तापमान के लायक होना पड़ेगा।
अभी ज्यादातर ऐसे जीव 37 डिग्री सेल्सियस तापमान से अधिक में जिंदा नहीं रह सकते हैं। लेकिन यह सीमा टूट सकती है। वहीं चिकित्सा विज्ञान के लिए अब भी कवक बहुत ही गहरे रहस्य हैं। मालूम हो कि दुनिया का विनाश कैसे होगा, यह सवाल आम इंसान से लेकर वैज्ञानिक तक गंभीरता से लेते हैं।
ऐसे में अलग अलग तरह के कयास लगाए जाते हैं कोई परमाणु युद्ध को, तो कोई Covid -19 जैसे वायरस को इसकी वजह मानता है। यह सारे तर्क उत्सुकता पैदा करते हैं।