क्या है मामला?
IAS अधिकारी पूजा सिंघल ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर निचली अदालत द्वारा लिए गए संज्ञान को रद्द करने की मांग की है। उनका कहना है कि अभियोजन स्वीकृति (Prosecution Sanction) नहीं मिलने के बावजूद निचली अदालत ने ED की शिकायत पर संज्ञान लिया, जो न्याय संगत नहीं है। पूजा सिंघल के वकीलों का तर्क है कि जब तक अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलती, तब तक निचली अदालत को इस मामले में संज्ञान नहीं लेना चाहिए था। इसलिए निचली अदालत के फैसले को रद्द किया जाना चाहिए।
कोर्ट में क्या हुआ?
इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की कोर्ट में हुई। पूजा सिंघल की ओर से अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा, अजय शाह और स्नेह सिंह ने अदालत में बहस की। उन्होंने कोर्ट को बताया कि बिना अभियोजन स्वीकृति के मामला आगे नहीं बढ़ सकता और इस आधार पर निचली अदालत का संज्ञान ग़लत है।
ईडी को जवाब दाखिल करने का अंतिम मौका
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने ED को अपना जवाब दाखिल करने का अंतिम मौका दिया। ED इस मामले में क्या दलील देती है, यह अब 27 फरवरी की सुनवाई में साफ होगा।
पूजा सिंघल का मामला क्यों है अहम?
IAS अधिकारी पूजा सिंघल पर मनरेगा घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोप लगे हैं। ED ने उनके खिलाफ जांच की थी और इस मामले में उनकी संपत्तियों से जुड़े कई अहम खुलासे हुए थे। इसी के तहत प्रोसिक्यूशन कंप्लेन (अभियोजन शिकायत) दर्ज की गई थी।