लखीमपुर खीरी हिंसा मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 4 अप्रैल तक टली

News Aroma Media

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी मामले पर सुनवाई 4 अप्रैल तक के लिए टाल दी है।

कोर्ट ने कहा है कि एसआईटी ने सिफारिश की है कि राज्य सरकार आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने का आवेदन कोर्ट में दे।

निगरानी करने वाले जज ने भी इसकी सिफारिश की है। कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार इस पर जवाब दे।

उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि उसने आशीष मिश्रा की जमानत का हाई कोर्ट में कड़ा विरोध किया।

उप्र सरकार ने कहा है कि आशीष मिश्रा को मिली जमानत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने पर विचार हो रहा है।

उप्र सरकार ने कहा है कि मामले के एक गवाह पर हमले और धमकी का आरोप गलत है। यह होली का रंग डालने से जुड़े विवाद में दो पक्षों के बीच मारपीट का मामला है।

10 मार्च की रात हमला हुआ

कोर्ट ने 16 मार्च को आशीष मिश्रा और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले के गवाहों को सुरक्षा देने का आदेश दिया था।

कोर्ट ने उप्र सरकार को निर्देश दिया था कि वो गवाह पर हुए हमले पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे। 11 मार्च को लखीमपुर खीरी कांड में मारे गए किसानों के परिजन की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष इस मामले को मेंशन करते हुए सुनवाई की मांग की थी।

उन्होंने चीफ जस्टिस से कहा कि इस मामले के एक गवाह पर 10 मार्च की रात हमला हुआ ।

वकील प्रशांत भूषण के जरिए दायर याचिका में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाई कोर्ट से मिली जमानत को रद्द कराने की मांग की गई है।

याचिका में कहा कि आशीष मिश्रा की जमानत को उत्तर प्रदेश सरकार ने चुनौती नहीं दी, इसलिए हमको कोर्ट आना पड़ा।

चार्जशीट में आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपित बनाया गया है

याचिका में कहा गया है कि इस मामले में चार्जशीट 3 जनवरी को दाखिल की गई है और आशीष मिश्रा ने चार्जशीट की बातों को हाई कोर्ट के संज्ञान में नहीं लाया।

वकील शिवकुमार त्रिपाठी और सीएस पांडा ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश रद्द करने की मांग की है।

याचिका में कहा गया है कि आशीष मिश्रा को जमानत देकर हाई कोर्ट ने गलती की है। याचिका में कहा गया है कि अभी तक केंद्रीय मंत्री से पूछताछ नहीं हुई है।

इस मामले में एसआईटी का काम असंतोषजनक है। याचिका में कहा गया है कि आरोपित खुलेआम घूम रहे हैं और साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की संभावना है।

आशीष मिश्रा के जेल से बाहर आने से गवाहों के प्रभावित होने की आशंका है। गवाहों को अपनी जान पर खतरा महसूस हो रहा है।

याचिका में एसआईटी से पूरे घटनाक्रम की जानकारी देने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार से मुआवजा देने की मांग की गई है।

उल्लेखनीय है कि आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद 15 जनवरी को जेल से रिहा कर दिया गया।

लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर, 2021 को हुई हिंसा में आठ लोगों की जान चली गई थी। इस मामले में एसआईटी ने 3 जनवरी को लखीमपुर की कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। चार्जशीट में आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपित बनाया गया है।