नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने रोडरेज केस में कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू की सज़ा बढ़ाने की मांग पर सुनवाई 25 मार्च तक के लिए टाल दी है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को केवल एक हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी। मारपीट में जिस बुज़ुर्ग गुरनाम सिंह की मौत हुई थी, उनके परिवार ने सजा पर दोबारा विचार की मांग की है।
गुरनाम सिंह के परिजनों ने नई अर्जी दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ मारपीट की बजाय ज़्यादा संगीन धाराओं के तहत मामला बनता है।
12 सितंबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू की सजा बढ़ाने की मांग करने वाली पीड़ित पक्ष की ओर से दाखिल याचिका पर सिद्धू को नोटिस जारी किया था।
15 मई, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू को गैर इरादतन हत्या का दोषी पाया था लेकिन धारा 323 का दोषी पाया था। उन पर एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। कोर्ट ने सह अभियुक्त रुपिंदर सिंह संधू को भी बरी कर दिया था।
ट्रायल कोर्ट ने सिद्धू को बरी कर दिया था
मामला 1988 में पटियाला में हुई मारपीट की एक घटना का है। ट्रायल कोर्ट ने सिद्धू को बरी कर दिया था जबकि हाई कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू और रुपिंदर सिंह संधू दोनों को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराते हुए 3 साल की सज़ा मुकर्रर की थी।
सिद्धू के वकील ने ये दावा किया था कि 1988 में गुरनाम की मौत की वजह सिद्धू का घूंसा नहीं बल्कि दिल का दौरा था।
निचली अदालत ने सिद्धू को बरी कर दिया था लेकिन पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने उन्हें 3 साल की सजा सुनाई थी।
सिद्धू की तरफ से कहा गया था कि इस मामले में कोई भी गवाह खुद से सामने नहीं आया। जिन भी गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं, उनको पुलिस सामने लाई थी। गवाहों के बयान विरोधाभासी हैं।
सिद्धू के वकील ने चश्मदीद गवाह की सच्चाई पर सवाल उठाए। गुरनाम के भतीजे ने कहा था कि पुलिस ने उनकी कार को तुरंत कब्ज़े में लिया था परन्तु जांच अधिकारी इससे मना कर चुके हैं।