Case against Policemen : एक निजी चैनल के मालिक अरूप चटर्जी (Arup Chatterjee) के खिलाफ धनबाद में दर्ज विभिन्न केस के अनुसंधानकर्ता, तत्कालीन SP और DSP समेत कुछ गवाहों के खिलाफ केस दर्ज करने को लेकर दाखिल याचिका की सुनवाई शुक्रवार को Jharkhand High Court में हुई। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद मेंटिबिलिटी पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
मामले में हाई कोर्ट की एकल पीठ में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पैरवी की। उनकी ओर से मामले में मेंटीबिलिटी (याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं) पर बहस की गई।
कपिल सिब्बल ने कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। पुलिस अधिकारियों के खिलाफ धनबाद में कोयले के अवैध व्यापार में वसूली का प्रार्थी ने जो आरोप लगाया है वह बेबुनियाद है।
प्रार्थी प्रभावित व्यक्ति नहीं है। पुलिस को फंसाने के लिए उन्होंने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आवेदन दिया है। पूर्व में कोर्ट ने राज्य सरकार को इस केस की मेंटीबिलिटी (याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं) के संबंध में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था।
अरुण चटर्जी पर बकाया राशि नहीं देने का आरोप
धनबाद में अरूप चटर्जी के खिलाफ 17 FIR दर्ज किए गए थे। इसमें FIR दर्ज कराने वाले शिकायतकर्ता ने अरुण चटर्जी पर बकाया राशि नहीं देने का आरोप लगाया था।
इसमें कुछ मामलों को लेकर अरूप चटर्जी को जेल भी जाना पड़ा था। हालांकि, बाद में समझौता के आधार पर उन्हें कई मामलों में जमानत मिली है।
अरूप चटर्जी ने High Court में याचिका दाखिल कर उनके खिलाफ दर्ज करने वाले अनुसंधानकर्ता (IO), धनबाद के तत्कालीन SP, DSP एवं कुछ गवाहों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध करते हुए याचिका दाखिल की गई है।
अरूप चटर्जी की ओर से कहा गया है कि ये पुलिस अधिकारी धनबाद में कोयले के अवैध व्यापार में वसूली का काम करते थे। उनके द्वारा जानबूझकर इस मामले में उन्हें फंसाया गया है और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।