नई दिल्ली: नौ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग वाली धर्म गुरु देवकी नंदन ठाकुर (Devkinandan thakur) की याचिका पर सुनवाई दो हफ्ते के लिए टल गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप ऐसे ठोस उदाहरण रखिए, जहां किसी राज्य विशेष में कम आबादी होने के बावजूद हिंदुओं को अल्पसंख्यक का वाजिब दर्जा मांगने पर न मिला हो।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अरविंद दात्तार (Advocate Arvind Datar) ने कहा कि ये मामला पहले भी कोर्ट से राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को भेजा जा चुका है। उसके बाद कोर्ट ने अल्पसंख्यक आयोग की रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
9 राज्यों में हिंदुओं के अल्पसंख्यक होने का हवाला दिया गया
याचिका में कहा गया है कि 9 राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक (Hindu minority) हो चुके हैं लेकिन फिर भी वो अपने पसंद के शैक्षणिक संस्थान नहीं खोल सकते हैं, जबकि संविधान अल्पसख्यकों को ये अधिकार देता है।
याचिका में जिन 9 राज्यों में हिंदुओं के अल्पसंख्यक होने का हवाला दिया गया है, उनमें लद्दाख, मिजोरम, लक्षद्वीप, कश्मीर, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब और मणिपुर शामिल हैं।
याचिका में कहा गया है कि लद्दाख में 1 फीसदी, मिज़ोरम में 2.75 फीसदी, लक्षद्वीप में 2.77 फीसदी, कश्मीर में 4 फीसदी, नागालैंड में 8.74 फीसदी, मेघालय में 11.52 फीसदी, अरुणाचल में 29 फीसदी, पंजाब में 38.49 फीसदी और मणिपुर में 41.29 फीसदी हिंदू आबादी है।