नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की प्रीलिम्स परीक्षा में दिव्यांगों को वैधानिक आरक्षण नहीं देने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई टाल दिया है।
आज इस मामले पर सुनवाई समयाभाव की वजह से नहीं हो सकी।
सुनवाई के दौरान 6 जनवरी को कोर्ट ने यूपीएससी से सीटों की संख्या निर्धारित करने पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था।
कोर्ट ने 31 अगस्त, 2020 को यूपीएससी और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। याचिका संभावना नामक एनजीओ ने दायर की है।
याचिका में कहा गया है कि यूपीएससी की प्रीलिम्स परीक्षा के लिए जारी नोटिफिकेशन में नियुक्तियों का सही आंकड़ा नहीं बताया गया है।
उसकी जगह नोटिफिकेशन में कहा गया है कि संभावित नियुक्तियां 796 पदों पर होंगी। ऐसी स्थिति में दिव्यांग कैटेगरी के लिए 4 फीसदी पदों की गणना करना असंभव है।
याचिका में कहा गया है कि यूपीएससी के नोटिफिकेशन में संभावित नियुक्तियों जैसे शब्द का इस्तेमाल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है।
याचिका में कहा गया है कि अगर संभावित नियुक्ति जैसे शब्द को स्वीकार भी कर लिया जाए तो भी 796 नियुक्तियों के हिसाब से 32 सीटें दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए होनी चाहिए लेकिन नोटिफिकेशन में दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए 24 सीटें बताई गई हैं। याचिका में कहा गया है कि ये गंभीर गणितीय चूक है।
याचिका में कहा गया है कि मंत्रालयों से पूछने पर दिव्यांगों के लिए बैकलॉग नियुक्तियों की कोई जानकारी नहीं दी गई है। दिव्यांगों के लिए बैकलॉग नियुक्तियों पर यूपीएससी के नोटिफिकेशन में भी कोई चर्चा नहीं है।