शिमला: हिमाचल प्रदेश में आगामी चार दिन मौसम कड़े तेवर दिखाएगा। मौसम विभाग ने शिमला सहित छह जिलों में भारी बारिश व बर्फबारी की चेतावनी दी है।
मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक राज्य के पर्वतीय व उच्चपर्वतीय क्षेत्रों में 26 नवम्बर तक मौसम खराब रहेगा। इस दौरान बारिश व बर्फबारी का दौर चलने की संभावना है।
मध्यपर्वतीय व अधिक उंचाई वाले क्षेत्रों में 25 नवम्बर को भारी बारिश व बर्फबारी का येलो अलर्ट रहेगा। इस दिन पूरे प्रदेश में मौसम खराब रहेगा। 27 नवम्बर से मौसम के साफ रहने का अनुमान है।
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक मनमोेहन सिंह ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से मौसम में बदलाव आ रहा है और इससे लोगों को कड़ाके की ठंड का सामना करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि शिमला, कुल्लू, चंबा, किन्नौर, लाहौल-स्पीति और मंडी व सिरमौर के उंचे क्षेत्रों में 25 नवम्बर को भारी बारिश व बर्फबारी होने की संभावना है।
इस बीच राज्य की पर्वत श्रंखलाओं पर रविवार को भी हल्के हितपात का दौर चला। लाहौल-स्पीति, किन्नौर और कुल्लू की उंची चोटियों पर ताजा हिमपात हुआ।
जिला शिमला व आसपास के क्षेत्रों में भी मौसम के मिजाज बदले नजर आए। जिलाभर में दोपहर बाद आसमान बादलों से घिरा रहा। इस दौरान ठंडी हवाएं भी चलीं, जिससे दिन के समय ठंड का एहसास हुआ।
मौसम विभाग द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि वर्तमान में राज्य में न्यूनतम तापमान सामान्य से दो से तीन डिग्री नीचे और अधिकतम तापमान सामान्य से तीन से चार डिग्री नीचे चल रहा है।
लाहौल-स्पीति का मुख्यालय केलंग राज्य में सबसे ठंडा स्थल रहा, जहां रविवार को न्युनतम तापमान माइनस 6.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
इसके अलावा किन्नौर के कल्पा में न्यूनतम तापमान -2.6 डिग्री, मनाली में 0.2 डिग्री, भुंतर व सोलन में 1.7 डिग्री, सुंदनगर व पालमपुर में 2 डिग्री, कुफरी में 3.6 डिग्री, डल्हौजी में 3.8 डिग्री, चंबा में 3.9 डिग्री, मंडी में 4 डिग्री, उना में 4.2 डिग्री, कांगड़ा में 4.4 डिग्री, हमीरपुर में 4.7 डिग्री, बिलासपुर में 5 डिग्री, शिमला में 5.1 डिग्री और धर्मशाला में 6 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड हुआ।
उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में किसान-बागवान बारिश व बर्फबारी के इंतजार में हैं।
मानसून के विदा होने के बाद राज्य में नाममात्र बारिश हुई है तथा सूखे की स्थिति पैदा हो गई है। अक्टूबर का पूरा महीना सूखा बीता है।
हिमाचल के निचले क्षेत्रों में गेहूं की फसल और पर्वतीय भागों में सेब सहित अन्य पौधों के लिए बारिश-बर्फबारी संजीवनी का काम करती है।