रांची: जल, जमीन, जंगल की रक्षा और विस्थापन तथा विस्थापितों के अधिकार पर रांची के एसडीसी सभागार में शनिवार को एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन हुआ।
कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने एकजुट स्वर में कहा कि एक महीने के अंदर हेमंत सोरेन सरकार विस्थापितों की समस्याओं के समाधान के लिए विस्थापन आयोग का गठन करें नहीं तो झारखंड विस्थापित संघर्ष मोर्चा राज्य में जोरदार आंदोलन शुरू कर देगा।
सेमिनार में उपस्थित सामाजिक संगठनों और राज्य के वामदलों , झारखंड मुक्ति मोर्चा सहित कई दलों के नेताओं की उपस्थिति में विस्थापितों की समस्या को लेकर अनवरत संघर्ष का संकल्प लिया गया।
इस संकल्प में कहा गया है कि राज्य में विस्थापन आयोग का एक माह में गठन हो भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को राज्य में लागू किया जाए।
भूमि अधिग्रहण में जमीन की कीमत या मुआवजा पांच लाख रुपया प्रति एकड़ विस्थापित और प्रभावित परिवार को नौकरी और पुनर्वास के साथ-साथ पुनर्वास के लिए कम से कम 25 डिसमिल जमीन और गृह निर्माण के लिए पांच लाख की राशि दी जाए।
पूर्व सांसद भुनेश्वर मेहता ने कहा कि राज्य में विस्थापन का दंश सबसे ज्यादा आदिवासियों, पिछड़ों और मूलवासियों ने सहा है। अब समय है कि सरकार विस्थापितों की समस्याओं का समाधान कर उनको हक दिलाएं।
सेमिनार में आगे के आन्दोलन पर सर्व सम्मति से तय किया गया कि सात नवंबर को विस्थापितों के मांग को लेकर राजभवन मार्च किया जाएगा।
इस सेमिनार में कांग्रेस के केशब कमलेश महतो, राजद के राजेश यादव सी.पी.एम. के गोपिकान्त बक्शी, वासवी कीड़ो, माले के पुष्कर महतो केडी सिंह झामुमो के फागु बेसरा, विजय गुड़िया महेंद्र पाठक, अब्दुल्लाह मुक्ति अज़हर कासमी राजेन्द्र यादव, मुनि हांसदा, काशीनाथ सिंह, सतेंद्र सिंह और अजय सिंह सहित अन्य शामिल रहे।