रांची: विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन वनवासी समाज को दिग्भ्रमित कर उनकी श्रद्धा को तोड़ने का महा-पाप कर रहे हैं।
परांडे मंगलवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के एक बयान पर बोल रहे थे।
मुख्यमंत्री ने हार्वर्ड इंडिया कॉन्फ्रेंस में कहा था कि आदिवासी कभी भी हिंदू नहीं थे, न ही अब वे हिंदू हैं’, देशभक्त व धर्मनिष्ठ वनवासी समाज की आस्था व विश्वास पर चोट पहुंचाने वाले मुख्यमंत्री के इस गैर-जिम्मेदाराना वक्तव्य की विश्व हिन्दू परिषद ने तीव्र निंदा करती है।
ऐसा लगता है कि देश, धर्म व संस्कृति के लिए वनवासी समाज तथा उससे जुड़े महापुरुषों के अतुलनीय योगदान को नकारते हुए वे ईसाई मिशनरियों, कम्यूनिष्टों व नक्सली गतिविधियों के षड्यंत्रों को सहयोग प्रदान कर रहे हैं। हम इसे कदापि स्वीकार नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि समाज के राजनैतिक नेतृत्व को बहुत ज़िम्मेदारी से वक्तव्य देने चाहिए। वे सुनियोजित तरीके से वनवासी समाज को दिग्भ्रमित करने का जो कुत्सित प्रयास कर रहे हैं, उसमें वे सफल नहीं होंगे।
उन्हें स्मरण रखना चाहिए कि वनवासी समाज, अनंत काल से, देश, धर्म व भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए अग्रणी भूमिका में रहा है।
रामायण काल में माता शबरी का उदाहरण हो या राजस्थान में राणा पूंजा भील का जिन्होंने, महाराणा प्रताप का समर्थन मुग़लों से लड़ने के लिए किया।
झारखंड में भगवान बिरसा मुंडा ने तो ना सिर्फ रामायण-महाभारत का अभ्यास किया अपितु, अंग्रेजों व ईसाई मिशनरियों के धर्मान्तरण के षडयंत्रों का भी डटकर विरोध किया।
रानी दुर्गावती ने मुगलों से वीरतापूर्वक संघर्ष किया।
बात चाहे अंग्रेजी शासकों से संघर्ष करने वाले स्वतंत्रता सेनानी टांट्या भील की हो या, नागालैंड की महारानी गाईदेन्ल्यू की, या फिर झारखंड के सिध्दू- कान्हू तथा बूधू भगत जैसे वीरों की, देश – धर्म – संस्कृति के रक्षा के लिए वनवासी समाज के ऐसे अनगिनत गौरवपूर्ण संघर्ष इतिहास में भरे पड़े हैं।
श्रीराम मंदिर निधि समर्पण अभियान के प्रति झारखंड सहित समस्त वनवासी क्षेत्र में दिखा स्वयं स्फूर्त समर्पण व उत्साह इसी भक्ति-भाव का ही तो परिचायक है।
भगवान श्रीराम ने भी तो इस प्रकृति-पूजक वनवासी समाज में ही चौदह वर्ष तक भ्रमण व निवास किया था।
अयोध्या में बीते पांच अगस्त को हुए पूजन कार्यक्रम में सम्पूर्ण देश के अनेक वनवासी आस्था-केन्द्रों से पहुंची पवित्र मिट्टी व जल भी उनकी श्रद्धा को स्पष्ट परिलक्षित करता है।
अपने छुद्र राजनैतिक लाभ के लिए ऐसे वीर-धीर वनवासी समाज को बांटने या उनकी श्रद्धा पर आघात करने से मुख्यमंत्री सोरेन बाज आएं।