न्यूज़ अरोमा हजारीबाग: लंबे समय से लॉकडॉउन ने हजारीबाग जिले के ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के गैर मान्यता वाले स्कूलों के 6500 शिक्षकों की परेशानी बढ़ा दी है।
स्कूल संचालकों ने इन्हे मानदेय या वेतन देना बंद कर दिया है। कुछ ट्यूशन कर किसी तरह गृहस्थी चला रहे हैं ताे कुछ शिक्षक दूसरे रोजगार शुरू करके अपनी जीविका चला रहे हैं।
जो शिक्षक दूसरे रोजगार से जुड़ नहीं पाए वे अपनी जमा पूंजी खा रहे हैं। सैकड़ों शिक्षक कर्जदार हो गए हैं। बिना मान्यता वाले स्कूल संचालकों की भी यही हालत है।
किराए के भवन वाले स्कूलों की हालत खस्ता
किराए के भवन में स्कूल चलाने वाले संचालकों की हालत सबसे ज्यादा खराब है। जिनके अपने भवन हैं व स्थिति सामान्य होने की प्रत्याशा में हैं।
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की माने तो पूरे जिले में लगभग 200 स्कूल स्थाई रूप से बंद हो चुके हैं।
हजारीबाग जिले में यू डायस कोड प्राप्त 907 विद्यालय हैं। इन्हें किसी बोर्ड या जिला स्तर से मान्यता नहीं मिली है।
इस श्रेणी के स्कूल झारखंड शिक्षा परियोजना कार्यालय में निबंधित हैं कार्यालय ने इन्हें एक कोड दे रखा है।
इनमें लगभग दो लाख विद्यार्थी लॉकडाउन शुरू होने से पहले नामांकित थे। कार्यरत शिक्षकों की संख्या लगभग 7000 थी।
क्या कहता है प्राइवेट स्कूल ट्रस्ट
हजारीबाग प्राइवेट स्कूल ट्रस्ट के अध्यक्ष विपिन कुमार सिन्हा बताते हैं की 208 स्कूल उनके संगठन से सीधे रूप से जुड़े हुए हैं। किराए के मकान में चलने वाले अधिकांश स्कूलों को बंद करना संचालक की मजबूरी बन गई थी।
सरकार का एक आदेश आने के बाद अभिभावकों ने किसी तरह का शुल्क विद्यालयों को नहीं दिया।
शिक्षक को वेतन, भवन का किराया, बिजली बिल, शिक्षकेतर को वेतन देना भारी पड़ रहा था। स्कूल संचालकों के लिए अपना घर चलाना मुश्किल हो गया है। शिक्षक को वेतन देना तो दूर की बात है।
इस कारण यह कदम उठाना पड़ रहा है।
फीस नहीं देने वाले दूसरे स्कूल में करा सकते हैं नामांकन
प्राइवेट स्कूल संचालक राजीव चौधरी बताते हैं कि हम जमा पूंजी से अपना घर चला रहे हैं। स्कूल संचालकों को लोन तक देने को तैयार नहीं।
हम लोगों ने अगस्त सितंबर तक किसी तरह ऑनलाइन क्लास चलाया पैसा नहीं मिलने की स्थिति में अक्टूबर माह से सब कुछ बंद कर दिया गया।
लॉकडाउन से पूर्व की बकाया राशि भी नहीं मिली।वर्तमान सत्र में किसी तरह का फी नहीं देने वाले अभिभावक नए सत्र में दूसरे विद्यालय में आसानी से नामांकन ले लेंगे।
सभी विद्यालयों को आने वाले सत्र में बच्चों की जरूरत है। मान्यता नहीं रहने से स्कूल निशुल्क नामांकन लेते हैं।