रांची: हाईकाेर्ट ने रिम्स की लचर व्यवस्था पर नाराजगी जताई है। चीफ जस्टिस डाॅ. रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने शुक्रवार काे इस मामले में रिम्स काे कड़ी फटकार लगाई।
काेर्ट ने कहा-रिम्स में न डाॅक्टर हैं और न ही पर्याप्त संख्या में नर्स हैं।
रिम्स जैसे सरकारी संस्थान पैथाेलाॅजी जांच निजी संस्थानाें से कराती है। ऐसी व्यवस्था क्याें है।
इस पर रिम्स की ओर से कहा गया कि मेडिकल स्टाफ और अन्य पदाें पर भर्तियाें के लिए याेग्य उम्मीदवाराें के मिलते ही चयन प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
रिम्स के तर्क पर चीफ जस्टिस ने माैखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि द्राेणाचार्य बैठे हुए हैं और अर्जुन का इंतजार किया जा रहा है।
अभी तक खाली पदाें काे भरा क्याें नहीं गया। रिम्स ने कहा कि याेग्य उम्मीदवार मिलते ही खाली पदाें पर नियुक्ति हाे जाएगी।
हाईकाेर्ट के बार-बार आदेश देने के बावजूद रिम्स की व्यवस्था में काेई सुधार नहीं हुआ है। आलम यह है कि राज्य का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल हाेने के बावजूद यहां सीटी स्कैन जांच तक की व्यवस्था नहीं है।
इसके लिए मरीजाें काे प्राइवेट संस्थानाें में जाकर जांच करानी हाेती है। इसके अलावा भी कई जांच मशीनें नहीं है। यही नहीं, कई मशीनें ताे आने के बाद खुली ही नहीं। अब तक जंग खा रही है।
काेराेना काल में रिम्स में काैन-काैन से उपकरण खरीदे गए
काेर्ट ने यह भी पूछा कि काेराेना काल में रिम्स में काैन-काैन से उपकरण खरीदे गए हैं। अब तक सीटी स्कैन और पैथाेलाॅजी की मशीनें क्याें नहीं खरीदी गई।
सभी जांच निजी संस्थानाें में ही कराना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति क्याें है। हाईकाेर्ट ने इन सभी बिंदुओं पर रिम्स प्रशासन से दाे सप्ताह में जवाब मांगा है। हाईकाेर्ट के जस्टिस काेराेना की चपेट में आ गए थे।
वह इलाज के लिए रिम्स गए ताे वहां की अव्यवस्था देखकर रिम्स प्रशासन काे कड़ी फटकर लगाई। इसके बाद हाईकाेर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था।