रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने रांची के जलाशयों में अतिक्रमण और मेडिकल वेस्टेज फेंके जाने पर रोक लगाने का दिया आदेश दिया है।
शहर के जलाशयों के आसपास हो रहे अतिक्रमण को रोकने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान रांची नगर निगम और जिला प्रशासन को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि किसी भी परिस्थिति में रांची के बड़ा तालाब में किसी अस्पताल का मेडिकल वेस्ट ना जाए।
शुक्रवार को झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान रांची नगर निगम के सीईओ और उपायुक्त भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मौजूद थे।
अदालत ने जिला प्रशासन से डैमों की वाटर कैपेसिटी से संबंधित जानकारी मांगी है।
इसके साथ ही अदालत ने जवाब-तलब करते हुए पूछा है कि रांची में कितने जलाशय हैं और उनके आसपास के क्षेत्र में अतिक्रमण न हो इसके लिए क्या कदम उठाए गए हैं।
इसका विस्तृत जवाब 4 सप्ताह में दिया जाए।
मामले में प्रार्थी की तरफ से अधिवक्ता राजीव कुमार ने और राज्य सरकार की तरफ से अधिवक्ता पियूष चित्रेश ने अदालत के समक्ष पक्ष रखा।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि कोर्ट के कदम थोड़े सख्त लगेंगे, लेकिन शहर की भलाई के लिए ये काफी जरूरी है।
चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन एवं जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की बेंच ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 4 सप्ताह के बाद की तिथि निर्धारित की है।
कांके रोड निवासी राजीव कुमार सिंह के द्वारा रांची एवं इसके आसपास के जल स्रोतों को संरक्षित करने और इसमें हो रहे अतिक्रमण को हटाने की मांग को लेकर झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है।
जनहित याचिका में कहा गया है कि कांके डैम एवं धुर्वा डैम की सैकड़ों एकड़ जमीन अतिक्रमणकारियों के द्वारा हड़प ली गई है।
वहां मल्टी स्टोरेज बिल्डिंग का निर्माण किया जा रहा है। जिसका काफी बुरा असर जलाशयों पर पड़ रहा है।