नयी दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार से ऑफलाइन क्लास शुरू करने और मई से सभी परीक्षायें भी ऑफलाइन लेने के दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के निर्णय में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।
डीयू के इस निर्णय के खिलाफ विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों ने याचिका दायर की है। याचिका में यह भी कहा गया है कि छात्र जिन पीजी, हॉस्टल या अपार्टमेंट में रहते हैं, वहां एक ही कमरे में कई छात्र रहते हैं, तो ऐसी स्थिति में वहां कोविड-19 के नियमों का पालन हो, यह संभव ही नहीं है।
इसके साथ ही डीयू ने अपने सर्कुलर में यह भी नहीं कहा है कि वह क्लासरूम में कोविड-19 के दिशानिर्देशों का कैसे पालन करेगा।
याचिकाकर्ताओं के वकील संजय आर हेगड़े ने बुधवार को बहस के दौरान कहा कि 11 फरवरी के सर्कुलर में डीयू ने ऑफलाइन क्लास शुरू करने और ऑफलाइन मोड में परीक्षा लिये जाने की घोषणा की है जबकि इससे पहले गत चार फरवरी को जारी सर्कुलर में ऑनलाइन क्लास जारी रखने के बारे में कहा गया था।
हेगड़े ने कहा कि अब इस सत्र में केवल 21 कार्य दिवस बचे हैं और ऐसे में छात्रों का दिल्ली आना बहुत मुश्किल होगा।
उन्होंने दलील दी कि जो छात्र कमजोर आर्थिक स्थिति वाले हैं, वे मात्र तीन सप्ताह के लिए किराये के घर का कैसे इंतजाम करेंगे।
इस पर डीयू के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता फुल टाइम कोर्स को पार्ट टाइम कोर्स में बदलना चाहते हैं।
दलील सुनने के बाद जज ने कहा कि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर के कम होने से जब सब चीजें खोली जा रहीं हैं तो छात्र कॉलेज क्यों नहीं आ सकते हैं।
हाईकोर्ट ने साथ ही परीक्षा लेने के तरीके के संबंध में डीयू के निर्णय में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
मामले की सुनवाई कर रही हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि इस बात पर कोई सवाल ही नहीं उठता है कि अदालत डीयू को ऑनलाइन परीक्षा लेने का निर्देश दे।