रांची हिंसा मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को लगाई फटकार

News Aroma Media

रांची : 10 जून 2022 को रांची में हुए हिंसा (Ranchi violence) मामले पर झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand Highcourt) ने राज्य सरकार से पूछा कि क्यों नहीं इस मामले की CBI जांच करवाई जाए।

कोर्ट (Court) ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि सरकार इस मामले कि सही तरह से जांच (Investigation) करवाना ही नहीं चाहती है।

बता दें रांची हिंसा मामले को लेकर दर्ज कुछ केस CID तथा कुछ पुलिस अनुसंधान कर रही है। और इस अनुसंधान को खत्म करने की कोशिश की जा रही है, ताकि CID और पुलिस की रिपोर्ट में कुछ अंतर आ जाये और फिर जांच खत्म हो जाये।

या तो पूरे केस की जांच सीआइडी से करायी जानी चाहिए थी या पूरे केस की पुलिस से जांच करानी चाहिए थी। ताकि जांच में कोई विरोधाभास न आ सके।

ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि सरकार के रवैये को देखते हुए कोर्ट किसी दूसरी स्वतंत्र एजेंसी (Agency) से जांच करा सकती है।

Ranchi violence

15 दिसंबर को DGP और गृह सचिव होंगे कोर्ट में उपस्थित

कोर्ट ने राज्य के DGP और गृह सचिव (Home Secretary) को 15 दिसंबर को कोर्ट में सशरीर उपस्थित होकर जवाब देने के लिए कहा है।

कोर्ट ने उनसे पूछा है की उक्त घटना के बाद रांची (Ranchi) के तत्कालीन SSP का ट्रांसफर (Transfer) करने से संबंधित जो फाइल कोर्ट ने मंगायी थी उसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि SSP का ट्रांसफर क्यों किया गया है।

Ranchi violence

DGP और गृह सचिव को इसे स्पष्ट करने को कहा गया है। मामले की सुनवाई हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में हुई।

खंडपीठ ने मौखिक कहा कि सरकार की ओर से जांच के लिए पहले SIT बनायी गयी, फिर जांच सीआइडी को दी गयी, लेकिन CID भी इस मामले में कुछ नहीं कर पायी है।

सरकार की ओर से कहा गया है कि ह्यूमन राइट कमीशन (Human Right Commission) द्वारा यह निर्देशित है कि जहां कहीं भी घटना में पुलिस की करवाई में कोई घायल या मर जाते हैं उस घटना की जांच सीआइडी द्वारा करायी जा सकती है।

इसी के तहत डेली मार्केट थाना (Daily Market Police Station) केस CID को दिया गया। कोर्ट ने मौखिक कहा यह कौन सी प्रशासनिक अनिवार्यता थी जिसके तहत घटना के समय वहां मौजूद रांची के तत्कालीन SSP को स्थानांतरित कर वेटिंग फॉर पोस्टिंग (Waiting for Posting) में रखा गया था।

ऐसा प्रतीत होता है जैसे प्लानिंग के साथ हुई थी घटना

बता दें कि रांची हिंसा मामले (Ranchi Violence Case) में दायर पंकज यादव की जनहित याचिका में हैदराबाद (Hyderabad) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (Social Democratic Party of India) के महासचिव यास्मीन फारूकी समेत रांची उपायुक्त, एसएसपी, मुख्य सचिव, एनआइए, ED को प्रतिवादी बनाया है।

अदालत से मामले की NIA जांच करा कर झारखंड संपत्ति विनाश और क्षति निवारण विधेयक 2016 के अनुसार आरोपियों के घर को तोड़ने का आदेश देने का आग्रह किया है।

Ranchi violence

याचिका में रांची की घटना को प्रायोजित बताते हुए ANI से जांच करके यह पता लगाने का आग्रह किया है कि किस संगठन ने फंडिंग कर घटना को अंजाम दिया।

नुपुर शर्मा (Nupur Sharma) के बयान पर जिस तरह से रांची पुलिस (Ranchi Police) पर पत्थरबाजी हुई, प्रतिबंधित अस्त्र शस्त्र का प्रयोग हुआ, धार्मिक स्थलों पर पत्थरबाजी की गयी, इन सब से ऐसे ही प्रतीत होता है जैसे सब कुछ पहले से तय था और प्लानिंग(Planning) के साथ घटना को अंजाम दिया गया था।