रांची: झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) के न्यायाधीश Gautam kumar chaudhary की कोर्ट ने मंगलवार को राज्य के श्रम मंत्री एवं पूर्व कृषि मंत्री सत्यानंद भोक्ता के वर्ष 2009 से जुड़े कृषि बीज खरीद घोटाला मामले की सुनवाई में फैसला सुरक्षित रख लिया है।
सोमवार को हुई सुनवाई में कोर्ट के आदेश के आलोक में प्रार्थी की ओर से मामले से संबंधित प्राथमिकी कांड संख्या 15/2009 और चार्जशीट की Copy हाई कोर्ट को समर्पित की गई।
उल्ल्लेखनीय है कि ACB की विशेष अदालत ने कृषि बीज घोटाला (Agricultural seed scam) मामले की दोबारा जांच करने से संबंधित आवेदन को खारिज कर दिया था और इसे ही हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
कार्यकाल में किसी मद में पैसे की निकासी नहीं की गई
याचिका में सत्यानंद भोक्ता की ओर से कहा गया है कि मामले में विनीत कच्छप ने शिकायत की थी। इसके बारे में न तो विजिलेंस कोर्ट ने जानने का कोई प्रयास किया और न ही Vigilance Bureau (विजिलेंस ब्यूरो) ने उसके बारे में कुछ कहा है।
वह कभी कोर्ट भी नहीं आया। विनीत कच्छप कौन है इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। विनीत कच्छप ने राजनीति से प्रेरित होकर और उनकी छवि को धूमिल करने के लिए प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
सत्यानंद भोक्ता की ओर से यह भी कहा गया है कि विजिलेंस द्वारा जांच के सहयोग के लिए उन्हें बुलाया गया था लेकिन उन्हें भी मामले में आरोपी बना दिया गया जबकि अपने कार्यकाल में उन्होंने केवल राज्यादेश निकाला था। राज्यादेश के अनुपालन के लिए विभाग को त्वरित कार्रवाई करनी थी।
उनके कार्यकाल में किसी मद में पैसे की निकासी नहीं की गई। 13 माह में ही उनकी सरकार गिर गई थी। पैसे की निकासी कैसे हुई, किसके बैंक खाते में गई, किस लाभुक को फायदा मिला, इन सवालों की जांच विजिलेंस के द्वारा नहीं की गई।
आवेदन को निचली अदालत ने खारिज कर दिया
वर्ष 2009 में ACB थाना में बीज घोटाला को लेकर एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। उसमें तत्कालीन कृषि मंत्री नलिन सोरेन और तत्कालीन कृषि निदेशक निस्तार मिंज को नामजद आरोपी बनाया गया था।
वर्तमान श्रम मंत्री और तत्कालीन कृषि मंत्री रहे सत्यानंद (Satyanand) भोक्ता नामजद आरोपी नहीं थे लेकिन इस केस के अनुसंधान के दौरान एसीबी ने वर्ष 2013 में सत्यानंद भोक्ता के खिलाफ साक्ष्य पाए जाने का कारण बताते हुए उन्हें भी इस मामले में आरोपी बनाया था, जिसे सत्यानंद भोक्ता ने झूठा बताते हुए निचली अदालत में आवेदन दिया था।
इस आवेदन को निचली अदालत ने खारिज कर दिया था। वर्ष 2022 में सत्यानंद भोक्ता ने निचली अदालत में मामले की जांच कराने के लिए पुनः आवेदन दिया था, इसे निचली अदालत ने फिर से खारिज कर दिया था। उसके बाद इस मामले में हाई कोर्ट (High Court) में अपील दायर कर चुनौती दी गई थी।