नई दिल्ली: वर्ष 1757 से 1947 तक के भारत के लगभग 200 वर्षों के इतिहास की कहानियों का संसद भवन के पुस्तकालय में प्रदर्शन किया गया है।
यह प्रदर्शनी स्वतंत्रता संग्राम में अपना अमूल्य योगदान देने वाले गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान देने का एक प्रयास है।
इस प्रदर्शनी का मकसद भी देश के गुमनाम नायकों की कहानियों को सामने लाना है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने देश भर के सांसदों से कहा है कि वे निर्वाचन क्षेत्रों से और अधिक गुमनाम नायकों के बारे में अपने सुझाव दे सकते हैं।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को संसद पुस्तकालय में इस प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। प्रदर्शनी का आयोजन केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के तत्वावधान में भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद द्वारा भारत के स्वतंत्रता संग्राम के बारे किया है।
केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी इस प्रदर्शनी का अवलोकन किया। शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी, संसदीय कार्य और संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, लोकसभा और राज्यसभा के सांसद भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि इस प्रदर्शनी में 1757 से 1947 तक के भारत के लगभग 200 वर्षों के इतिहास की कहानियों का प्रदर्शन किया गया है।
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस प्रदर्शनी का उद्देश्य उन गुमनाम नायकों की कहानियों को लोगों के सामने लाना है जो राष्ट्रीय स्मृति में अंकित होने चाहिए।
देश भर के सांसद इस प्रदर्शनी के साक्षी बनकर अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों से और अधिक गुमनाम नायकों के बारे में अपने सुझाव दे सकते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि संस्कृति मंत्रालय राज्य सरकारों के सहयोग से पूरे देश के 100 स्थानों पर डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से भी इस प्रदर्शनी का प्रदर्शन करेगा।