Champai Soren On Ho’ language : पूर्व चीफ मिनिस्टर चंपाई सोरेन ने ‘हो’ भाषा (Ho’ Language) को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की है। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र लिखा है।
बताया है कि इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर आदिवासी हो समाज युवा महासभा की ओर से 14 सितम्बर 2024 को जंतर-मंतर, पार्लियामेंट स्ट्रीट, नई दिल्ली में धरना प्रदर्शन भी किया गया है।
चंपाई ने पत्र में लिखा है कि ‘हो’ भाषा सबसे प्राचीन भाषाओं मे से एक है। यह ऑस्ट्रो-एशियाई परिवार की भाषाओं का हिस्सा है। ‘हो’ भाषा की वारंग क्षिती लिपी नाम की विशेष रूप से डिजाइन की गई लिपि है।
हो’ समाज युवा महासभा की ओर से भी किया गया विशेष अनुरोध
इस भाषा का इस्तेमाल झारखंड के विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम (University Curriculum) में किया जाता है। इसकी किताबें देवनाहरी, ओडिया, बांग्ला और वारंग क्षिती लिपि में भी प्रकाशित हुईं हैं।
चंपाई ने बताया है कि आदिवासी ‘हो’ समाज युवा महासभा की ओर से विशेष अनुरोध भी किया गया है कि इनकी उक्त मांग पूरी की जानी चाहिए।
इसलिए मैं पूरी कामना के साथ अनुरोध करता हूं कि समाज हित में आप हमारे आदिवासी ‘हो’ समाज की ‘हो’ भाषा (वारंग क्षिती लिपि) को भारतीय संविधान (Indian Constitution) की आठवीं सूची में शामिल करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने की कृपा करें।