नई दिल्ली: अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के माध्यम से द्वीप और सीमा सुरक्षा को और मजबूत करने के उद्देश्य से, गृह मंत्रालय (एमएचए) जल्द ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ एक बैठक आयोजित करने वाला है, ताकि अंतराल को दूर किया जा सके और सीमावर्ती द्वीप क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जा सके।
सूत्रों ने कहा कि बैठक के दौरान, एमएचए अधिकारी उत्तरी, पूर्वी सीमा और द्वीप सुरक्षा पर अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी (स्पेस टेक्नोलॉजी) का उपयोग करके सुरक्षा अंतराल को कम करने के लिए बेहतर सीमा प्रबंधन के तरीकों पर चर्चा करेंगे।
एक उच्च पदस्थ सूत्र ने कहा कि सीमा पर कई बिंदु (प्वाइंट्स) हैं, जो उत्तरी और पश्चिमी सीमा में पहाड़ी इलाकों और नदी के किनारे के कारण उत्तरी सीमा पर पूरी तरह से बंद नहीं हैं यानी वहां कोई बाड़ नहीं लगाई जा सकी है।
इसके अलावा चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा को ठीक से सीमांकित और परिभाषित नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर सुरक्षा बलों की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बेहतर नजर होगी।
सूत्रों के अनुसार, सीमा प्रबंधन में आवश्यक तकनीक की आवश्यकता को समझाने के लिए इसरो के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में बीएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी जैसे सीमा सुरक्षा बलों के उच्च अधिकारी भाग लेंगे।
सुरक्षा बलों के अधिकारियों ने कहा कि उत्तर और पूर्वी थियेटर्स में दोनों शत्रुतापूर्ण पड़ोसियों (चीन और पाकिस्तान) पर नजर रखने के अलावा, इन कठिन इलाकों में उचित संचार प्रणाली की कमी, सीमा सुरक्षा बलों के लिए एक चुनौती है।
यह कहते हुए कि वे पूरी तरह से रेडियो संचार पर निर्भर हैं और ऊंचाई और खराब मौसम के कारण रेडियो संचार की अपनी सीमाएं हैं, उन्होंने कहा कि हालांकि कुछ बल संचार के लिए उपग्रह टेलीफोन का उपयोग करते हैं, लेकिन इसमें दुश्मन बलों द्वारा अवरोधन (इंटरसेप्शन) की संभावना भी होती है।
17 जनवरी, 2019 को, तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सीमा प्रबंधन में सुधार के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग को लेकर क्षेत्रों की पहचान करने के लिए एमएचए द्वारा बनाई गई एक टास्क फोर्स की एक रिपोर्ट को मंजूरी दी।
संयुक्त सचिव (सीमा प्रबंधन) की अध्यक्षता में और बीएसएफ, अंतरिक्ष विभाग और सीमा प्रबंधन प्रभाग के सदस्यों की अध्यक्षता वाली टास्क फोर्स ने बॉर्डर गार्डिग फोर्स (बीजीएफ), इसरो, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (एनएससीएस) और रक्षा मंत्रालय (एमओडी) सहित सभी हितधारकों से परामर्श किया।
इस दौरान द्वीप विकास, सीमा सुरक्षा, संचार और नेविगेशन, जीआईएस और परिचालन योजना प्रणाली और सीमा बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित करने वाली रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया गया।
टास्क फोर्स ने यह भी सिफारिश की है कि सीमा सुरक्षा बलों की तत्काल आवश्यकता को उच्च रिजॉल्यूशन इमेजरी की खरीद और संचार के लिए बैंडविड्थ को शामिल करके पूरा किया जाए, जबकि इसरो एमएचए के विशेष उपयोग के लिए एक उपग्रह लॉन्च करेगा।
बीएसएफ को अभिलेखीय सुविधाओं की स्थापना सहित ग्राउंड सेगमेंट और नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्च र के कार्यान्वयन के लिए अग्रणी एजेंसी के रूप में नामित किया गया है।
दूरदराज के इलाकों में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) की तैनाती को भी उपग्रह संचार द्वारा समन्वित किया जाएगा, भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (आईआरएनएसएस) आधारित जीपीएस उच्च ऊंचाई, दूरस्थ और कठिन सीमाओं और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में परिचालन दलों के लिए नेविगेशन सुविधाएं प्रदान करेगा।