हुबली (कर्नाटक): कर्नाटक के हुबली शहर में एक विवादास्पद सोशल मीडिया पोस्ट के बाद बड़े पैमाने पर हुई हिंसा के सिलसिले में 100 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है।
आरोपियों को सोमवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा। इस बीच, स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और पूरे शहर में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं। शहर में 20 अप्रैल तक निषेधाज्ञा लागू है।
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने सोमवार को कहा कि सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और जांच की जा रही है।
जांच से पता चलेगा कि इस घटना के पीछे कौन है और इसमें किस नेता की भूमिका है। उन्होंने कहा कि जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस की टीम विशेष रूप से सीसीटीवी फुटेज देख रही है और दंगाइयों की पहचान कर रही है। साइबर क्राइम टीम व्हाट्सएप, फेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट में सोशल मीडिया पोस्ट और संदेशों की जांच कर रही है, जिसके कारण हिंसा हुई।
पुलिस विभाग ने मामले को गंभीरता से लिया है और जांच की निगरानी एडीजीपी प्रताप रेड्डी कर रहे हैं। हुबली-धारवाड़ के आयुक्त लाभू राम ने पहले ही हिंसा के सभी विवरण उन्हें दे दिए थे।
पार्टी के कार्यकारी समिति सदस्य सलीम अहमद के नेतृत्व में कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल सोमवार को पुलिस आयुक्त लाभू राम से मुलाकात करेगा।
पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े और लाठीचार्ज करना पड़ा
कांग्रेस पार्टी ने रविवार को एक बैठक बुलाई थी, उन्होंने चिंता जताई कि पुलिस निर्दोष लोगों को हिरासत में ले रही है।
श्री राम सेना के संस्थापक प्रमोद मुतालिक ने कहा है कि व्हाट्सएप स्टेटस पोस्ट के बहाने हिंदुओं के खिलाफ हिंसा एक सुनियोजित कार्रवाई थी।
उन्होंने कांग्रेस पार्टी की भी आलोचना करते हुए कहा कि जब हिंदू गिरफ्तार होते हैं, तो वे मूक हो जाते हैं और जब मुसलमान गिरफ्तार होते हैं, तो वे हमेशा उन्हें निर्दोष मानते हैं।
उन्होंने कहा, पुलिस को अपना काम करने दें। गुंडों और असामाजिक तत्वों की गिरफ्तारी होने पर दिल न जलाएं।
हुबली में 16 अप्रैल की रात एक सोशल मीडिया पोस्ट के बाद हिंसा भड़क उठी। भीड़ ने सार्वजनिक और सरकारी संपत्ति पर पथराव करना शुरू कर दिया।
इसके बाद में वे ओल्ड हुबली थाने के सामने जमा हो गए और पुलिस पर पथराव कर दिया। उन्होंने पुलिस वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया और निजी वाहनों को आग लगा दी। उन्होंने संजीवनी अस्पताल और एक मंदिर को भी निशाना बनाया।
हिंसा में शामिल भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े और लाठीचार्ज करना पड़ा।