हैदराबाद: निजाम (सप्तम) मीर उस्मान अली खान के पोते नवाब नजफ अली खान ने मंगलवार को हैदराबाद पुलिस में अपने चचेरे भाई नवाब मीर बरक अली उर्फ प्रिंस मुकर्रम जाह के खिलाफ निजाम फंड मामले में बिटिश हाईकोर्ट में उत्तराधिकार के अवैध प्रमाण पत्र का उपयोग करने के लिए प्राथमिकी दर्ज कराई है।
नजफ अली खान ने प्रिंस मुकर्रम जाह की पूर्व पत्नी एरा बेरजिन जाह और उनके भाई प्रिंस मुफ्फाखम जाह के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज कराई है।
नजफ अली खान ने शिकायत को सौंपने के लिए हैदराबाद के पुलिस आयुक्त अंजनी कुमार से मुलाकात की, जिसमें आरोप लगाया गया कि आर्थिक अपराध में धोखाधड़ी, जालसाजी, गलत बयानी शामिल है, उन्होंने निजाम की संपत्ति के साथ हेराफेरी करने के लिए झूठे और मनगढ़ंत सबूत इस्तेमाल किए जाने का आरोप लगाया है।
शिकायत में कहा गया, हमने भारत के नवाब मीर बरकत अली खान उर्फ प्रिंस मुकर्रम जाह को 27-02-1967 को भारत सरकार द्वारा जारी निजाम फंड मामले में ब्रिटेन के हाईकोर्ट में उत्तराधिकार के अवैध प्रमाणपत्र के उपयोग के विवरण सहित एक शिकायत पुलिस आयुक्त को सौंपी, जिन्होंने खुद को निजाम (सप्तम) का एकमात्र उत्तराधिकारी दिखाया है। उन्होंने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर धोखे से प्रमाणपत्र का इस्तेमाल किया, ताकि हैदराबाद के सातवें निजाम के बाकी कानूनी उत्तराधिकारियों को नुकसान पहुंचाया जा सके।
उन्होंने बताया कि हमने उन्हें सूचित किया कि 26वें संशोधन अधिनियम, 1971 के तहत भारत के संविधान में अनुच्छेद 363ए के सम्मिलन से वह प्रमाणपत्र कानूनन अमान्य हो गया है। प्रिंस मुकर्रम जाह हैदराबाद के शासक नहीं हैं। वह अपने दादा एच.ईएच. नवाब सर मीर उस्मान अली खान बहादुर के उत्तराधिकारी नहीं रहे और और वह भारत के किसी भी सामान्य नागरिक की तरह हैं। इसलिए, विरासत के मामले के लिए विरासत का व्यक्तिगत कानून लागू होता है।
नवाब नजफ अली खान, जो निजाम फैमिली वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष और निजाम सप्तम के एस्टेट के 100 से अधिक वारिसों में से एक हैं, ने उनके और परिवार के सदस्यों के लिए सुरक्षा की मांग करते हुए कहा उन्हें धमकाया जा रहा है।
उन्होंने तर्क दिया कि इस प्रमाणपत्र के आधार पर ब्रिटेन की अदालत ने पिछले साल आदेश दिया था कि 3.5 करोड़ ब्रिटिश पाउंड (333 करोड़ रुपये ) नकद भारत सरकार और मुकर्रम जाह और उनके भाई मुफ्फाखम जाह के बीच बांटे जाने चाहिए।
उन्होंने आईएएनएस को बताया कि पुलिस आयुक्त ने याचिका पर गौर करने और इसे आगे की कार्रवाई के लिए कानूनी टीम को सौंपने का आश्वासन दिया है।