नई दिल्ली: मुजफ्फरनगर बिहार की जोशिनी सिन्हा ने बताया कि वह आठ साल से काम कर रही है। जबकि उसकी बहन दो साल से काम कर रही है।
दोनों उस वक्त मोटिवेशन स्पीच को सुन रही थी। तभी आग धुआं हुआ और आग लग गई। जब शीशा तोड़ा गया। नीचे काफी भीड़ थी।
दोनों बहनें हम चिल्ला रही थी। मधू का हाथ पकडक़र वह गली में कूद गई थी, लेकिन जब वह संभली और ऊपर की तरफ मधू को देखा,मधू वहां पर नहीं थी।
तभी से उसको तलाशते हुए शाम हो गई है। बाबा साहेब और संजय गांधी अस्पताल में उसको परिवार के साथ तलाश रही है। लेकिन कहीं से भी उसके बारे में कुछ नहीं पता चल पा रहा है।
मेरे भाई को कोई मुझसे मिलवा दो, तलाशती रही बहन
इमारत में मदनपुर डबास में रहने वाला विशाल काफी समय से नौकरी कर रहा था। नांगलोई में रहने वाली उसकी बहन पूजा मोबाइल फोन में उसका फोटो लेकर एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल और हादसे वाली जगह लोगों को फोटो दिखाकर उसके बारे में पूछने की कोशिश कर रही थी।
पूजा ने बताया कि भाई का फोन भी स्वीच ऑफ है। विशाल ड्राइवर के साथ हेल्पर आदी का काम करता था। संडे को ही भाई से फोन पर बात हुई थी।
उसके बारे में हादसे में बाल बाल बचे लड़कों ने बताया कि विशाल को मीटिंग में ही देखा था। लेकिन उसका शनिवार शाम तक कुछ पता नहीं चल पा रहा है।
काश बहन ऑफिस नहीं जाती तो मेरे सामने होती
मुंडका इलाके में रहने वाले प्रिंस ने बताया कि उसकी बहन सोनम कुछ समय से वहां पर नौकरी कर रही थी। सुबह वह घर का काम करने के बाद घर से नौकरी के लिये निकली थी।
लेकिन जब आग लगने के बारे में पता चला। उसने बहन को फोन किया था। लेकिन फोन पर घंटी तक नहीं जा रही है।
बहन का कहीं पर कुछ पता नहीं चल पा रहा है। अस्पताल और पुलिस कोई सहायता नहीं कर रही है।
गर्मी होने की वजह से उसने बोला भी था कि आज छुट्टी कर ले। लेकिन उसने कहा था कि आज कोई स्पीच है। कोई मेरी बहन के बारे में कोई तो जानकारी दे दे।
भाई का फोटो लेकर पूरी रात उसे तलाशता रहा
नांगलोई में रहने वाला प्रमोद अपने भाई नरेन्द्र को तलाशने के लिये शुक्रवार शाम से शनिवार रात तक उसका फोटो लेकर उसको तलाशने की कोशिश कर रहा है।
लेकिन नरेन्द्र का कोई अतापता नहीं चल पा रहा है। प्रमोद ने बताया कि 2019 में वह काम पर लगा था। वह सीसीटीवी कैमरा बनाया करता था। शाम को भाई के साथ काम करने वाली मनीषा ने फोन कर बताया कि इमारत में आग लग गई है।
वह ऊपर से कूद गई है। उसको काफी चोट लगी है। नरेन्द्र आग में ही फंस गया था। जल्दी से वहां पर चले जाओ। उसके बाद वह अकेला ही अपने भाई को तलाश रहा है।
लेकिन उसका कुछ पता नहीं चल पाया है। वह संजय गांधी अस्पताल की मोर्चरी में भी गया था। लेकिन वहां पर उसका कुछ पता नहीं चल पाया। नरेन्द्र ने हाथ में पीतल का कड़ा पहन रखा है। उसी से उसकी पहचान भी हो सकती है।
पटना से आकर बेटी को अस्पताल में तलाश रही है मां
पटना की रहने वाली सिल्लो देवी ने बताया कि उसकी बेटी मोना उर्फ स्वीटी(28)अपने ससुराल मुबारकपुर डबास में पति और बेटा बेटी के साथ रहती है।
वह काफी समय से बिल्ंडग में नौकरी कर रही थी। वह शुक्रवार को पटना में अपने घर पर थी। वहीं पर दामाद ने फोन कर हादसे के बारे में बताया था। दामाद को बेटी के साथ काम करने वाली दो लड़कियों ने हादसे की जानकारी दी थी।
दोनों लडक़ी दूसरी मंजिल से कूद गई थी। जिसके तुरंत बाद वह टै्रन से सीधा घर से संजय गांधी अस्पताल आई। सिल्लो देवी ने बेटी का फोटो लेकर सभी मीडिया के लोगों से उसके बारे में पूछ रही थी।
उनका कहना था कि गर्मी की छुट्टी में बेटी बच्चों को लेकर घर पर आ जाती थी, लेकिन वो नहीं आई। उसने सांसद हंस राज हंस से भी बेटी के बारे में जानकारी जुटाने की गुहार लगाई।
उक्त फैक्ट्री में काम करने वाले अंकित ने बताया कि जब आग लगी उस वक्त बिल्डिंग में मोटिवेशनल क्लास चल रही थी, सब स्टाफ स्पीकर को सुन रहे थे।
अंकित के अनुसार जिस वक्त आग लगी वो सेकंड फ्लोर पर मौजूद था और मोटिवेशनल क्लास चल रही थी। आग लगने के बाद धुंआ ऊपर की तरफ आया और जब सीढिय़ों से नीचे जाने लगे तो जा नहीं पाए। क्योंकि सीढिय़ों में धुंआ इतना था की दम घुट रहा था।
जिसके बाद छज्जे की तरफ शीशा तोडक़र सेकंड फ्लोर से रस्सी के सहारे नीचे आया। अंकित ने बताया की प्रोडक्ट की सेल बढ़ाने के लिए ये क्लास रखी गई थी।
पूरी रात इस अस्पताल से उस अस्पताल तक भटकते रहे परिजन…..
पूजा के परिवार वाले अपनी बहन की तलाश के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। पूजा जिसकी उम्र 19 साल है जो मुबारक पुर की रहने वाली, जो की इस फैक्टरी में पैकिंग का काम करती थी।
उसकी छोटी बहन मोनी ने बताया कि दीदी रोज शाम 7 बजे तक आ जाती थी, पर आज जब वह नहीं आयी तो उसको फोन किया। फोन नहीं लगा। फिर उस खोजने लगे, लोगो से पता चला जहा दीदी काम करती है, वहा आग लग गई है।
कई घंटो से दीदी को खोज रहे है, उनका कुछ पता नहीं चल रहा है। इसी क्रम में दिल्ली के संजय गांधी अस्पताल में तान्या चौहान 24 साल की मां भी उसकी तलाश के लिए पहुंची।
जिसका रो रोकर बुरा हाल था। जबकि उक्त अस्पताल में मोनिका का परिवार भी उसको खोजते हुए आया। जिसका भाई अजित का कहना है की 7 बजे तक वो आ जाय करती थी,लेकिन आज नहीं आई। न्यूज में देखकर पता चला की वहाँ आग लग गई। वह पिछले 1 महीने पहले ही काम पर आई थी।
बहन नहीं मिलने पर रो रोकर बुरा हाल
इस्माइल नाम का शख्स अपनी बहन की तलाश में घंटों भटकता रहा. रो-रोकर उसका बुरा हाल है, लेकिन देर रात तक उसकी बहन का कुछ पता नहीं चल सका।
मौली नाम की एक लडक़ी अपनी मां के साथ बड़ी बहन की तलाश में जुटी है। उसकी बहन जिस कंपनी में आग लगी उसी में काम करती थी।
मौली अपनी मां के साथ संजय गांधी अस्पताल में अपनी बहन के जानकारी के लिए पहुंचीं। किसी ने उनकी कोई मदद नहीं की। उनकी बहन के बारे में कोई जानकारी नहीं दी।
वह लगातार बोल रही हैं कि जो शव है मुझे एक बार दिखा दीजिए, लेकिन पुलिस प्रशासन का कहना है कि आप केवल गुमशुदगी का रिपोर्ट लिख दीजिए।
आपको उसके बारे में जानकारी मिलेगी। मौली लगातार अपनी बहन के लिए परेशान हो रही है। मां की आंखों में आंसू है।
बड़ी बहन के लिए छोटी बहन की आंखों में आंसू है। काफी ज्यादा परेशान है दोनों और मदद की गुहार लगा रहे। अपनी मामी को ढूंढने आए एक परिजन जो पिछले 3 घंटे से लगातार अस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं। पुलिस प्रशासन की तरफ से अस्पताल प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही है।
ऐसे में परिजनों की जो सबसे बड़ी चिंता है वह यह है कि अब वह कहां गुहार लगाएं। दिल्ली के संजय गांधी हॉस्पिटल के बाहर रातभर लोगों की भारी भीड़ रही। हर कोई अपनों को तलाश रहा है. बस हर किसी को उम्मीद है कि उनके अपने मिल जाएं।
हादसे वाले दिन मिली थी पहली सैलरी
अपनी बहन की तलाश में संजय गांधी अस्पताल पहुंचे अजीत तिवारी ने बताया कि घटना के बाद से मोनिका लापता है। मैं अपनी बहन की तलाश में आया हूं।
उसने पिछले महीने सीसीटीवी कैमरा पैकेजिंग यूनिट में काम करना शुरू किया था और हादसे वाले दिन ही उसे पहली सैलरी मिली थी। अब वो कहां हैं, पता नहीं ।
इसलिए हो गया बड़ा हादसा
स्थानीय लोगों ने बताया कि बिल्डिंग में जगह कम थी और ज्यादा लोग काम कर रहे थे। ऐसे में जब आग भडक़ी तो अफरा-तफरी मच गई, जिसकी वजह से लोग हादसे के शिकार हो गए।