रांची: प्रदेश कांग्रेस राहत निगरानी समिति के सौजन्य से प्राइवेट अस्पतालों की ओर से आपदा में अवसर विषय को लेकर बुधवार को रांची प्रेस क्लब में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।
विचार गोष्ठी में निजी अस्पतालों के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए गये, जिससे सरकार को अवगत कराया जाएगा। पारित प्रस्ताव में सरकार से मांग की गई है कि 17 महीने के आय व्यय का ब्यौरा निजी अस्पताल सार्वजनिक करें।
इसके अलावा यह भी कहा गया है कि सभी अस्पतालों में आईसीयू, आईसीसीयू में सीसीटीवी के माध्यम से वेटिंग रूम में परिजनों को मरीजों को देखने का मौका मिले। सभी अस्पताल हर इलाज का दर डिस्प्ले करें।
राहत निगरानी समिति ने डॉक्टर, नर्स, पारा मेडिकल स्टाफ के प्रति दिल की गहराइयों से कृतज्ञता प्रकट करती है।
मरीजों के निधन के बाद भी भयादोहन के लिए परिजनों से जीवित रहने की घटना की जांच हो, रेगुलेटरी बॉडी की स्थापना की जाए एवं अस्पतालों पर निगरानी रखी जाए।
विचार गोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेश सिंह ने कहा कि कोरोना काल में प्राइवेट अस्पतालों के कहर से हर घर और हर परिवार ग्रसित रहा है। यह एक छोटा विषय नहीं है।
सरकार तक पूरे वस्तुस्थिति की जानकारी पहुंचाने की आवश्यकता है। लोक कल्याणकारी सरकार हमसे टैक्स वसूलती है और हमें सुविधाएं देने का वचन देती है। कोविड-19 जिस तरह से निजी अस्पतालों का रवैया रहा, वह काफी दुखद था।
रांची विश्वविद्यालय के प्रो डॉ प्रभात कुमार सिंह ने कहा कि वर्तमान व्यवस्था के लिए भारतीय शासक दोषी हैं।
भारतीय जनता कहीं से भी जिम्मेवार नहीं है। प्राइवेट अस्पतालों को खुलने के पहले मापदंड बने हुए है। उन मापदंडों का पालन किये बगैर सरकार उन्हें खोलने की अनुमति देती है जो सरासर गलत है।
विचार गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए आलोक कुमार दूबे ने कहा निजी अस्पतालों ने सरकार के आदेशों की अवहेलना की। मरीजों के घर, जमीन, जायदाद, गहने बेचने तक के लिए मजबूर किया।
सात हजार करोड़ रुपये कमाये हैं जिसका हिसाब निजी अस्पतालों को देना होगा। 17 महीने के आय व्यय का ब्यौरा अगर नहीं दिया गया तो इसके परिणाम गंभीर होंगे।
इस अवसर पर रामगढ़ कॉलेज के प्रिंसिपल मिथिलेश कुमार सिंह आदि उपस्थित थे।