नई दिल्ली: आईआईटी रोपड़ के वैज्ञानिकों ने कम कीमत की एक ऐसी डिवाइस तैयार की है, जो कोरोना समेत अन्य वायरसों और बैक्टीरिया से लड़ने में कारगर हो सकती है।
इस डिवाइस की सहायता से इलेक्ट्रोलाइज पानी का निर्माण किया जा सकता है, जो वायरस के खिलाफ एक हथियार के तौर पर काम करेगा।
यही नहीं इस पानी का प्रयोग खाद्य सुरक्षा में भी किया जा सकता है।
एक सदी से भी अधिक समय से चिकित्सा के क्षेत्र में इलेक्ट्रोलाइज पानी का उपयोग किया जाता रहा है।
इलेक्ट्रोलाइज पानी का उपयोग एंटीबायोटिक दवाओं के उपलब्ध होने से पहले प्रथम विश्व युद्ध में घावों के उपचार हेतु एवं कीटाणुरहित करने के लिए उपयोग किया जाता था।
आईआईटी रोपड़ के प्रोफेसरों की टीम में शामिल केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ विश्वजीत मेहंदी, डॉ. एस मणिगंडन और केंद्रीय अनुसंधान सुविधा आईआईटी रोपड़ के प्रमुख प्रो. सी आर सूरी ने इलेक्ट्रोलाइज्ड पानी का उत्पादन करने के लिए कम लागत वाला उपकरण विकसित किया है, जिसका उपयोग कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए एल्कोहल आधारित कीटाणुनाशक के विकल्प के रूप में किया जा सकता है।
इलेक्ट्रोलाइज्ड पानी बैक्टीरिया, फंगस और कई अन्य प्रकार के वायरसों के खिलाफ बेहद प्रभावी है।
क्लोरीन उपचार के साथ पानी की सफाई की पारंपरिक प्रक्रिया के विपरीत, इलेक्ट्रोलाइट्स पानी मनुष्यों को किसी तरह का नुकसान भी नहीं पहुंचाता है।
डॉ मेहंदी ने कहा कि हमने अपनी प्रयोगशाला में नल के पानी से इलेक्ट्रोलाइज्ड पानी को 5.0-6.5 के पीएच और एफएसी (स्वतंत्र रूप से उपलब्ध क्लोरीन) की उच्च कंसनट्रेशन के साथ सफलतापूर्वक विकसित किया है।
इसे 5 मिनट के भीतर तैयार किया जा सकता है और 1 सप्ताह तक स्थिर रह सकता है।
उन्होंने कहा कि हमने 48 घंटों तक इलेक्ट्रोलाइज्ड पानी की स्थिरता का परीक्षण किया है।
प्रो सूरी ने कहा कि इसका इस्तेमाल स्वास्थ्य देखभाल, खाद्य सुरक्षा, जल उपचार और सामान्य स्वच्छता में किया जा सकता है। डॉ एस मणिगंडन ने कहा कि कोविड-19 वायरस से लड़ाई में भी यह असरदार है।