इस्लामाबाद: इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी IMF ने पिछले हफ्ते पाकिस्तान को 3 अरब डॉलर कर्ज ($3 Billion Debt) देने के प्रपोजल को मंजूरी दे दी। यह मंजूरी 30 जून को दी गई और इसी दिन IMF का प्रोग्राम (IMF program) भी खत्म हो रहा था।
इसका मतलब ये कि अगर IMF चंद घंटे और लोन मंजूर (IMF Few Hours and Loan Approved) नहीं करता तो Pakistan चंद दिन बाद दिवालिया हो जाता।
बहरहाल, 3 अरब डॉलर का लोन तो पाकिस्तान को मिल गया है, लेकिन इसके साथ IMF ने तमाम सख्त शर्तें भी हैं। ये वो बातें हैं जो पाकिस्तान की शाहबाज शरीफ (Shahbaz Sharif) सरकार मुल्क को नहीं बता रही है। यहां इन शर्तों के बारे में जानते हैं।
IMF ने लोन के साथ जो सख्त शर्तें लगाईं
IMF ने लोन के साथ जो सख्त शर्तें लगाईं हैं, उन्हें पूरा करना शाहबाज सरकार (Shahbaz Sarkar) के लिए बेहद मुश्किल होगा। इसकी सबसे बड़ी वजह सियासी है।
दरअसल, अक्टूबर में जनरल इलेक्शन (General Election) होने हैं, और अगर सरकार इन शर्तों को मानती है तो उसकी सत्ता में वापसी बेहद मुश्किल होगी। इसकी वजह ये है कि इन शर्तों को पूरा करने का मतलब है आम जनता पर जबरदस्त बोझ डालना।
सरकार को तीन काम फौरन करने हैं और ये आदेश IMF ने दिया है। हर तरह की सब्सिडी खत्म करनी होगी, पेट्रोल-डीजल और बिजली 30% (Petrol-Diesel and Electricity 30%) तक महंगे करना होंगे और टैक्स कलेक्शन 10% तक बढ़ाना होगा।
पाकिस्तन के अखबार ‘The Express Tribune’ की रविवार को पब्लिश रिपोर्ट के मुताबिक- सरकार IMF की शर्तों को कैसे पूरा करेगी? अगर इन्हें पूरा किया गया तो इसकी जबरदस्त सियासी कीमत चुकानी होगी। अगर सरकार ने हिम्मत करके ये शर्तें पूरी कर भी दीं तो ये तय है कि उसे फिर सत्ता नहीं मिल पाएगी।
कर्ज चुकाना होगा सबसे बड़ा चैलेंज
एक्सप्रेस ट्रिब्यून (Express Tribune) की रिपोर्ट के मुताबिक- 3 अरब डॉलर का कर्ज IMF ने दिया है, लेकिन पाकिस्तान को इस साल नवंबर तक 23 अरब डॉलर कर्ज चुकाना है और इसमें भी बहुत बड़ा हिस्सा सिर्फ ब्याज का है।
जाहिर है मूल रकम तो अपनी जगह बनी रहेगी। फाइनेंस मिनिस्टर इशहाक डार (Finance Minister Ishaq Dar) दावा कर रहे हैं कि जुलाई के आखिर में सरकार के खजाने में 15 अरब डॉलर होंगे।
अगर ये सही भी है तो सरकार कर्ज की किश्तें चुकाने और चुनाव के पहले महंगाई (Dearness) कम करने के काम कैसे करेगी।