Linking Aadhar with Voter ID: चुनाव आयोग (Election Commission) 18 मार्च को एक महत्वपूर्ण बैठक करने जा रहा है, जिसमें वोटर आईडी और आधार लिंकिंग (Voter ID and Aadhar Linking) की अनिवार्यता पर चर्चा होगी।
बैठक में केंद्रीय गृह सचिव, UIDAI (आधार प्राधिकरण) के CEO और कानून मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे।
इस बैठक का मुख्य उद्देश्य फर्जी मतदान और डुप्लिकेट वोटर आईडी की समस्या को रोकना है। वर्तमान में आधार से वोटर आईडी को लिंक करना स्वैच्छिक है, लेकिन सरकार इस प्रक्रिया को अनिवार्य करने पर विचार कर रही है।
64 करोड़ मतदाता कर चुके हैं आधार लिंकिंग
देश में कुल 97 करोड़ पंजीकृत मतदाता हैं, जिनमें से अब तक 64 करोड़ लोगों ने अपने Voter ID को आधार से जोड़ा है। दिसंबर 2021 में लोकसभा में पारित चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक के तहत यह प्रक्रिया शुरू की गई थी, ताकि चुनाव प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जा सके।
डेटा प्राइवेसी को लेकर उठ रहे सवाल
Aadhaar और Voter ID लिंकिंग को लेकर कुछ विशेषज्ञों और विपक्षी दलों ने डेटा सुरक्षा और प्राइवेसी को लेकर चिंता जताई है। डिजिटल विशेषज्ञों का कहना है कि आधार जैसी संवेदनशील जानकारी को Voter ID से जोड़ने से साइबर हमलों और डेटा लीक का खतरा बढ़ सकता है।
बैठक में लिए जा सकते हैं अहम फैसले
Voter ID-Aadhaar Linking को अनिवार्य करने या इसे ऐच्छिक बनाए रखने पर चर्चा होगी। डेटा सुरक्षा को लेकर भी नए दिशानिर्देशों पर विचार किया जाएगा।
मतदाता सूची में गड़बड़ियों को रोकने के लिए अतिरिक्त कदम उठाए जा सकते हैं। चुनाव आयोग के इस फैसले का सीधा असर आगामी लोकसभा चुनाव 2025 (Lok Sabha Elections 2025) और राज्य विधानसभा चुनावों पर पड़ सकता है। सरकार की योजना है कि अगले दो वर्षों में शत-प्रतिशत मतदाताओं की Voter ID को आधार से जोड़ा जाए।