इस्लामाबाद: पाकिस्तान की इमरान सरकार प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) को सियासी पार्टी का दर्जा देने की तैयारी कर रही है।
इतना ही नहीं सरकार जल्द टीएलपी के 800 से ज्यादा कार्यकर्ताओं को जेल से रिहा करने जा रही है, जो हिंसक घटनाओं में शामिल थे।
इस्लामाबाद मार्च रोकने के लिए इमरान सरकार का टीएलपी के साथ गोपनीय समझौता करने की जानकारी मिल रही है। हालांकि यह समझौता किन शर्तों पर किया गया है इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
पाकिस्तान के एक टीवी चैनल ने समझौते के मसौदे के लीक होने का दावा किया है। बताया है कि समझौते के अनुसार जल्द ही टीएलपी पर से प्रतिबंध हट जाएगा और उसे अगले आम चुनाव में उम्मीदवार उतारने का अधिकार भी मिल जाएगा।
समझौते को लागू करने के लिए उच्च स्तरीय समिति ने कार्य करना शुरू कर दिया है। विपक्षी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने समझौते को सार्वजनिक करने की मांग करते हुए कहा है कि सरकार ने कट्टरपंथी संगठन के सामने समर्पण कर दिया है।
टीएलपी प्रमुख साद रिजवी की जेल से रिहाई और फ्रांसीसी राजदूत के देश से निष्कासन की मांग को लेकर टीएलपी ने करीब दस दिन पहले लाहौर के नजदीक जीटी रोड पर धरना दिया था।
इसके बाद 27 अक्टूबर को पुलिस और टीएलपी के बीच हिंसक टकराव हुआ था। पूरे आंदोलन में आठ पुलिसकर्मियों समेत 19 लोग मारे गए थे और 400 से ज्यादा घायल हुए थे। इसके बाद दसियों हजार टीएलपी समर्थकों ने इस्लामाबाद मार्च शुरू कर दिया था।