इस्लामाबाद : पाकिस्तान के संकटग्रस्त प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि विपक्ष द्वारा संसद में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के बाद ‘प्रतिष्ठान’ ने उन्हें तीन विकल्प दिए थे : ‘इस्तीफा, अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान या चुनाव।’
हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि ‘प्रतिष्ठान’ से उनका इशारा किस तरफ है।
पाकिस्तान के 73 साल से अधिक लंबे इतिहास में उस पर आधे से ज्यादा समय तक शक्तिशाली सेना की हुकमूत रही है। पाकिस्तान में सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़े मामलों में अब तक सेना का अच्छा-खासा दखल रहा है।
मुल्क में जारी राजनीतिक संकट के बीच पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने कथित तौर पर इस हफ्ते प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात की है।
यह पूछे जाने पर कि क्या विपक्ष, सत्ता पक्ष या ‘किसी अन्य पक्ष’ ने समयपूर्व चुनाव या इस्तीफे का विकल्प दिया था, इमरान ने ‘एआरवाई न्यूज’ से कहा कि उनके सामने तीन विकल्प रखे गए थे।
पाक प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “हमने चुनाव को सर्वश्रेष्ठ विकल्प बताया, क्योंकि मैं इस्तीफा देने के बारे में सोच भी नहीं सकता और जहां तक कि अविश्वास प्रस्ताव का सवाल है, मैं आखिरी समय तक लड़ने में यकीन रखता हूं।”
रविवार को अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के कई सदस्यों के विपक्षी खेमे में जाने का जिक्र करते हुए इमरान ने कहा, “अविश्वास प्रस्ताव अगर गिर जाता है तो भी हम ऐसे लोगों (बागियों) के साथ सरकार नहीं चला सकते। लिहाजा, पाकिस्तान के लिए बेहतर होगा कि नए सिरे से चुनाव कराए जाएं।”
श्ह पूछे जाने पर कि क्या वह समयपूर्व चुनाव के लिए तैयार हैं तो इसपर इमरान ने कहा, “अगर हम अविश्वास प्रस्ताव जीत जाते हैं, तो समयपूर्व चुनाव कराना एक अच्छा विचार होगा। अगर विपक्ष द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव गिर जाता है तो हम एक रणनीति बनाएंगे।”
पाक प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) जैसे विपक्षी दलों को मुल्क के लिए ‘कलंक’ करार दिया। उन्होंने कहा कि अतीत की उनकी नीतियों के कारण ही एक विदेशी ताकत खुले तौर पर पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन का आह्वान कर रही है।
पाकिस्तान में सत्तारूढ़ गठबंधन के दो घटक दलों के विपक्षी खेमे में चले जाने से इमरान सरकार ने बहुमत खो दिया है।
इमरान ने कहा है कि वह आखिरी ओवर की आखिरी गेंद तक खेलेंगे और रविवार को अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाला मतदान यह तय करेगा कि मुल्क किस दिशा में आगे बढ़ेगा।