इस्लामाबाद: पाकिस्तान में इमरान सरकार पर संकट के बादल और घने होते जा रहे हैं। जहां सरकार बचाने के लिए प्रधानमंत्री इमरान खान बागी सांसदों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के मूड में हैं वहीं विपक्ष भी शह मात के खेल में हर विकल्प पर विचार कर रहा है।
अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पूर्व पाकिस्तान की सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के बागी सांसदों को आजीवन अयोग्य करार देने की बात पूछी है।
जहां 25 बागी सांसदों पर कार्रवाई कर प्रधानमंत्री इमरान खान कठोर संदेश देना चाहते हैं, वहीं नेशनल असेंबली के बदले हुए आंकड़ों के बीच उनके लिए बहुमत साबित करना आसान हो सकता है। इस बीच, विपक्षी दलों ने भी वैकल्पिक रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने के बाद अटार्नी जनरल खालिद जावेद खान ने संवाददाताओं से कहा कि सरकार ने राय मांगी कि क्या सत्तारूढ़ पार्टी के बागी व पाला बदलने वाले सांसदों को आजीवन अयोग्य करार दिया जा सकता है… उनके मत का क्या महत्व होगा और उनके मत को गिना जाएगा अथवा नहीं।’
याचिका में पूछा गया है कि संविधान व कानून के अंतर्गत बागी होने, पाला बदलने और क्रास वोटिंग पर अंकुश के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार संयुक्त विपक्षी गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट ने अविश्वास प्रस्ताव गिरने की स्थिति में इमरान के खिलाफ राजनीतिक आंदोलन जारी रखने के लिए वैकल्पिक रणनीति भी बनाई है।
प्लान बी के अनुसार, अगर अविश्वास प्रस्ताव गिरता है, तो विपक्षी दल इमरान से संसद में तत्काल विश्वास मत हासिल करने को कहेंगे। प्लान सी के तहत, दोनों रणनीति विफल रहती है, तो विपक्ष मामले को सुप्रीम कोर्ट और निर्वाचन आयोग के पास ले जाएगा।
उल्लेखनीय है कि आठ मार्च को विपक्षी दलों के 100 से ज्यादा सांसदों ने इमरान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। स्पीकर ने इस पर मतदान के लिए 25 मार्च को नेशनल असेंबली का विशेष सत्र बुलाया है।
इमरान को 342 सदस्यीय सदन में बहुमत साबित करने के लिए 172 मतों की जरूरत होगी। सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व करने वाली पीटीआई के नेशनल असेंबली में 155 व अन्य छह दलों के 23 सदस्य हैं।
निचले सदन में विपक्षी दलों के संयुक्त रूप से 163 सांसद हैं और उन्हें उम्मीद है कि पीटीआइ के बागी 25 सांसद उनका साथ दे सकते हैं।